Baccho ki Tarbiyat
बच्चो की तरबियत और सज़ा Baccho ki Tarbiyat aur saza जहां बच्चों की तरबियत की बात हो वहीं बच्चों को सजा दें या ना दें,इस बात का सवाल ज़रूर पैदा होता है अक्सर मां बाप ये सवाल करते नज़र आते है कि बच्चे हमारी बात नहीं मानते हम उन की रहनुमाई करना चाहते है मगर वो हमारी बात नहीं सुनते आखिरकार हमें अपनी बात मनवाने के लिए उन्हें डांटना पड़ता है,झिड़कना पड़ता है,और कभी कभी तो जिस्मानी सजा भी देना पड़ती है क्या हमारा ये काम दुरुस्त है???
Bacchon ki Tarbiyat kaise karen
Baccho ki Tarbiyat aur saza के हवाले से मैं ने ये बात नोट की है वी ये है की ज़्यादातर मां बाप बच्चों को आदत होने की वजह से डांटते है ना कि तरबियत के लिए नहीं, इसी तरह बच्चों को जिस्मानी सज़ा भी अपनी किसी खुद कि वजह से दे देते है ना कि बच्चों की तरबियत की वजह से,मिसाल के तौर पर किसी और का गुस्सा बच्ची पर उतार दिया,कोई काम खराब हो गया तो बच्ची को डांटना पीटना शुरू कर दिया ये सब रवय्या बच्चों के साथ सरासर ज़यादती और ज़ुल्म है, मां बाप को इस पर शर्मिंदा होना चाहिए और ये काम करना खत्म कर देना चाहिए,
दूसरी खास बात ये है कि बच्चे आपकी की हुई तरबियत नहीं मान रहे है तो इस की असल वजह हमारी अपनी कमज़ोरी है ना कि बच्चों की गलती,सच तो ये है कि हमें बच्चों की रहनुमाई नहीं करनी आती और ना ही हम ये सब सीखने को तेयार हैं अगर हम बच्चों की रहनुमाई करना चाहते है तो हमें रहनुमा बनना होगा और रहनुमाई का हुनर सीखना होगा रहनुमाई के हुनर में सब से ख़ास काम है :-
1:-बच्चे को समझना
2:- बच्चों के साथ दोस्ताना रवय्या अपनाना
3:-बच्चो से असरदार बात करना
बच्चों को समझना
रहनुमाई में सबसे अहम काम ये है कि बच्चों को समझना,उसकी नफसियात को समझना उसके मूड की और पसंद ना पसंद चीजों को समझना,और बच्चो के बीच में पाए जाने वाले व्यक्तिगत मतभेद को नजर के सामने रखना, बच्चों को उस के लेवेल पर जाकर समझने कि कोशिश करें की वी आप की बात को follow क्यूं नहीं कर रहे है, समझे क्या कहीं बच्चे को कोई नफसियाती और ज़ज्बाती मसला तो नहीं?
बच्चों के पास क्योंकि कहने को अल्फ़ाज़ बहुत ही कम होते है इसी लिए वो ज़्यादतर काम को Action से अपने मसले को बताते है,जब बच्चा जिद करता है या हमारी बातों के उल्टा काम करता है तो हम बजाए उसकी बात समझने के या उसके मसले को समझे गुस्से में आकर उसे थप्पड़ मार देते है हमारा ये रवय्या बच्चों की और ज़्यादा नाफसियाती और जाज़बाती मसले की तरफ ले जाते है बस सब्र से बच्चों कि हालात को नोट करें और उनको दूर करने की कोशिश करें।
दोस्ताना ताल्लुक़ कायम करना
दोस्ताना ताल्लुक़ कायम करने का मतलब ये है कि बच्चे और आप के बीच मुहम्मद और भरोसे का रिश्ता हो जिसे बच्चे भी अच्छे से समझता हो ये ताल्लुक़ कायम करने का तरीका ये है कि आप उसको अपना क्वालिटी टाईम देना शुरू कर दे मतलब ऐसा वक्त जो काम ही लेकिन खास हो,ऐसा वक्त जब आप पूरी तरह उसके लिए free हों और आपका दिल और दिमाग उसकी तरफ हो, आप इस वक्त में मिलकर खुले ,उसकी बातें सुनें,मिलकर घर का कोई काम करना शुरू करें,उसे साथ लेकर बाहर घूमने ,सैर करने शॉपिंग करने या खाना खिलाने के लिए के कर चले जाएं वगैरह-
बच्चों से असरदार बातचीत करना
बच्चों की तरबियत में असरदार बात बहुत ही जरूरी है,बच्चों की बात को गौर से सुने और उसे महसूस करायें की उस्की बात सुनने के लाइक है बच्चों को मौका दें की वो अपनी बात को खुल कर बयान कर सके ,बच्चों से बात करते वक्त सोचें की कौन सा लफ्ज़ इस्तेमाल करना है और कौन सा नहीं हां
ये भी देखे की बच्चे किस वक्त आपकी बात को सुनने की पोजीशन में है बच्चों को आसान और अच्छे अल्फ़ाज़ में बात समझाएं ,बात समझते हुए लहज़ा धीमा और (eye contact) आंखों का राबता ज़रूर रखें कोशिश ये करें की आप अपने बच्चों से सवालिया अंदाज में बात करें ताकि बच्चे को सोचने और समझने का मौका मिल सके
Conclusion
इस तरह हम अपने बच्चो की अच्छी तरबियत और अदब के साथ उसकी रहनुमाई कर सकते है तो आज का ये टॉपिक Baccho ki Tarbiyat aur saza कैसा लगा कमेंट में जरूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें
Jazahk allah talah bohut hi umda