Masjid Al Aqsa ki History in Hindi
अस्सलामुअलैकुम ,दोस्तों आज के इस टॉपिक Masjid Al Aqsa History in Hindi में Masjid Al Aqsa के बारे में मुकम्मल मालूमात हासिल करेंगे |जैसा की आपको मालूम है की Masjid Al Aqsa को हरम अल शरीफ भी कहा जाता है ,ये यरूशलम के पुराने शहर में मौजूद है ,ये मस्जिद मस्जिद अल हराम मक्का और मस्जिद ए नबवी मदीना के बाद दुनिया की तीसरी सबसे मुक़द्दस मस्जिद मानी जाती है | मस्जिद अल अक़्सा इस्लामी तारीख़ में एक अलग ही मुक़ाम रखती है। ये मस्जिद माउंट के ऊपर बनायीं गयी है जो अल अक़्सा या हराम -अल शरीफ के नाम से जानी जाती है |
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बुराक नाम के एक सफ़ेद पंख वाले जानवर पर बैठ कर एक रात में मस्जिद ए हराम मक्का से मस्जिद ए अक़्सा तक का सफर किया, जिसके बाद आप मेराज़ की रात आसमान पर तशरीफ़ ले गए जहाँ आप की मुलाक़ात अल्लाह से हुई और बाद में कई नबियों से मुलाक़ात हुई| पहले मुसलमान इसी मस्जिद की तरफ मुंह करके नमाज़ अदा करते थे बाद में इन्हे काबे की तरफ मुंह करके नमाज़ पढ़ने का हुक्म दिया गया | ये मस्जिद मुसलमानों के दिलों में एक ख़ास मक़ाम रखती है
History of Al Aqsa Mosque |मस्जिद ए अक़्सा की तारीख़
हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का जमाना
इस्लामी अकाइद के हिसाब से ये मस्जिद हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के ज़माने से ही है मस्जिद ए अक़्सा हज़रत इब्राहिम और उनके बेटे हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम और उनके पोते हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की ज़िन्दगी की सबसे अहम मस्जिद थी ,जब हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम हुकूमत में आये तो इन्होने मिस्र जाने का मशवरा किया क्यूंकि यहाँ वो ग़ुरबत की जद में थे बेहतर ज़िन्दगी की तलाश में मिस्र में जा बसे। इसी दौरान मस्जिद ए अक़्सा के एरिया को कई बार बढ़ाया गया और इसकी हिफाज़त के लिए अहले फिलिस्तीन के मुसलमानों पर भरोसा किया |
हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम का जमाना
हज़रत याक़ूब अलैहिस्सलाम की औलाद लगभग चार सदियों तक वहां रहे और मिस्र के लोगों के गुलाम हो गए। यह गुलामी तभी ख़तम हुई जब पैगंबर हज़रात मूसा (अ.स.) ने अल्लाह के हुक्म के तहत उन्हें फिरऔन से आज़ाद कराया । हालाँकि, इस्राएलियों ( हज़रत याक़ूब की औलाद ) ने फ़िलिस्तीन लौटने के लिए अल्लाह के फरमान का इंकार कर दिया और इस तरह उन्हें 40 सालों तक सिनाई के रेगिस्तान में रहने और भटकने का हुक्म मिला।
उसके बाद हज़रत दाउद (अ.स.) की हुकूमत आयी, जिन्होंने अपने लोगों को वापिस फिलिस्तीन तक पहुंचाया और अपनी हुकूमत क़ायम की |
हज़रत दाउद और हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम का जमाना
हज़रत दाउद (अ.स.) ने फिलिस्तीन के हिस्से में अपनी हुकूमत की बुनियाद डाली और यरूशलेम का कंट्रोल अपने हाथ में लिया। हज़रत दाउद अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत सुलेमान (अ.स.) ने वहां के मक़ामी लोगो की मदद से मस्जिद ए अक्सा को बहुत ही अच्छी तरह दुबारा बनाया और इसके बगल में उन्होंने एक महल भी बनाया। हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की वफ़ात के बाद उनके दोनो बेटों ने बांट लिया ये दोनों बहुत ही काम वक़्त के लिए ही हुकूमत में रहे इस हुकूमत के आखिरी बादशाह को 586/587 में हुकूमत से बेदखल कर दिया गया था क्योंकि उसने बेबीलोनियों के खिलाफ होने की कोशिश की थी, लेकिन हार गए । उसके बाद बेबीलोनियों ने शहर यरूशलम पर अपना कब्ज़ा कर लिया उसके बाद मस्जिद अल अक्सा को फिर से तबाह कर दिया गया।
रोमियों का यरूशलम पर अपना कब्ज़ा
रोमियों ने बेबीलोनियों की हुकूमत को ख़तम कर दिया (जिस दौरान मस्जिद अल अक्सा को फिर से बनाने के लिए नए सिरे से काम किए गए), लेकिन उसके बाद के वक़्त में कई बार हुकूमतें बदलती रहीं और मस्जिद अल अक़सा को नुकसान पहुँचता रहा
315-325 ईस्वी में , जब रोमियों ने ईसाई मज़हब अपना लिया, तो रोमन और यहूदियों के दिलों में इस मस्जिद की अहमियत ख़तम हो गयी इसिलए इन लोगों ने इस जगह को कचरा डंप करने की जगह बना दी ये जगह इसी तरह सदियों तक रही। फिर आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस मस्जिद को फिर से ज़िंदा किया।
आप सल्लल्लाहुआलही वसल्लम की वफ़ात के बाद ,हज़रात उमर रज़िअल्लाहु ताला अन्हु ने बिना किसी का खून बहाये बैत अल मक़्दस में दाखिल हुए हज़रत उमर का अख़लाक़ देख कर ईसाई पादरी ने बैताल मक़दिस की चाभी हज़रात उमर को दे दी इस फैसले से ईसाई और यहूदी दोनों खुश हुए।
691/692 ई. में, अब्द अल मलिक बिन मारवान ने पत्थर के गोल गुम्बद को बनवाया जिसे डोम ऑफ़ रॉक कहा जाता है जिसके बारे में ये भी कहा जाता है की अल्लाह के रसूल इसी जगह से आस्मां की तरफ मेराज के लिए रवाना हुए थे । ये जगह भी मस्जिद के अंदर ही है।
मुसलमानों ने 1099 ई. में ईसाईयों के हाथों मस्जिद ए अक्सा को दुबारा खो दिया इस्लामी तारिख में ये दिन बहुत ही कला दिन था क्यूंकि यरूशलम पर कब्ज़ा करने बाद ईसाईयों ने कहा की जो लोग मस्जिद इ अक़्सा में पनाह लेंगे उनको क़ैद नहीं किया जायेगा ये सुनकर हजारों मुसलमान मस्जिद के अंदर पनाह लेने लिए दाखिल हो गए उसके बाद क्रूसेडर्स ने मस्जिद में घुस कर क़त्ले आम मचाना शुरू किया जिसमे कई हज़ार मुसलमान शहीद हुए, बाद में मस्जिद ए अक्सा को एक महल में बदल दिया गया बाद में सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी रहमतुल्लाह अलैहि ने 1187 में इसे वापिस से आज़ाद कराया मुसलमानों को इसे वापिस लेन के लगभग में 88 साल लग गए। जेरूसलम और अल मस्जिद अल अक्सा की आज़ादी पांच सदी पहले हज़रात उमर रज़ियल्लाहु ताला अन्हु की याद दिलाती है| हज़रात उमर की तरह, सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी ने फतह के बाद अद्ल और इन्साफ को क़ायम रखा और मस्जिद को दुबारा ज़िंदा किया।
इसके बाद मुसलमानों ने 800 साल हुकूमत की इस हुकूमत के दौरान यहूदी और ईसाई के हुक़ूक़ का पूरा हक़ अदा किया गया अमन ,इन्साफ और शांति बरक़रार रही।
Masjid Al Aqsa History 1917 ke Baad|
खिलाफत ए उस्मानिया के दौरान कई सौ सालों तक यरूशलेम शहर और मस्जिद अल अक्सा को अज़ीम मक़ाम हासिल था हालाँकि यह सब तब बदल गया जब यूरोप में ज़ायोनी तहरीक शुरू हुई मुस्लिम फ़िलिस्तीनी ज़मीन पर यहूदी मुल्क बनाने का मंसूबा सामने आया । यह ज़ायोनी तहरीक, जिसे अंग्रेजों की हिमायत हासिल थी, पहले वर्ल्ड वॉर के दौरान और मजबूत हुआ अंग्रेजों ने यरूशलेम पर कब्जा कर लिया और मुस्लिम हुकूमत को ख़तम कर दिया।
1917 में जब अंग्रेज़ फ़िलिस्तीन पहुंचे जहाँ उन्होंने पता चला की 90% आबादी अरबों की है और 56,000 से भी कम यहूदी है (जिनमें से सिर्फ 5% फ़िलिस्तीनी यहूदी थे, जिनमें से ज़्यादातर बहार चले गए थे । इस दौरान अंग्रेजों ने मुसलमानों को मस्जिद अल हरम पर कन्ट्रोल की इजाज़त दे दी।
यरूशलेम पर ब्रिटिश कब्जे के पांच साल बाद,मस्जिद अल अक्सा में 20 वीं सदी की पहले बहाली हुई और कुछ साल के बाद 1924 में ट्रांस-जॉर्डन ने मस्जिद अल अक्सा मस्जिद की ज़िम्मेदारी संभाली।
यहूदी मुल्क बनाने की शिफारिश
Masjid Al Aqsa History में नया मोड़ उस वक़्त आया जब 1947 में ब्रिटेन ने फ़िलिस्तीन के इस मसले को संयुक्त राष्ट्र में डाला ,उस वक़्त यहूदियों के पास फ़िलिस्तीन की पूरी ज़मीन का 6% से भी कम हिस्सा था। इसी वजह से,जब यूनाइटेड नेशन में एक “यहूदी मुल्क ” बनाने की सिफारिश की जिसमें फ़िलिस्तीनी ज़मीन का 54% हिस्सा शामिल होगा, इस बात को सुनकर फ़िलिस्तीनियों ने तज़वीज़ को मानने से इंकार कर दिया।
1948 में एक ख़ूंरेज़ जंग के बाद, यहूदियों ने 78% फ़िलिस्तीनी ज़मीन पर “इज़राइल” की इस्टैब्लिशमेंट की,और लगभग 85% यरूशलेम पर कब्ज़ा कर लिया। जॉर्डन अरब आर्मी ने वेस्ट बैंक पर कब्ज़ा कर लिया – जिसमें यरूशलेम के मशरिक़ी हिस्सों का 11% हिस्सा शामिल था जिसमें पुराना शहर और मस्जिद अल अक्सा शामिल थी ।
1967 में एक और जंग के बाद, इज़राइल ने मशरिक़ी येरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया और येरुशलम को इज़राइल का हिस्सा बताने का दावा किया। यरूशलेम पर कब्जे और उसके बाद हुए मुज़हिरो के बाद, यहूदी अधिकारियों ने तेजी से मस्जिद अल अक्सा को मुस्लिम नियंत्रण में वापस सौंप दिया।
1967 के बाद से कई इजरायली अधिकारियों ने यहूदियों को मस्जिद अल अक्सा में यहूदी इबादत करने इज़ाज़त दे दी।1969 में एक ज़ायोनी दहशतगर्द के ज़रिये मस्जिद में आग लगाई गई जिसमे सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी का बनाया हुआ मिम्बर को जला दिया गया । ये मिम्बर दुनिया के खूबसूरत मिम्बर में से एक था और इसकी तामीर देवदार और दूसरी लकड़ी,आइवरी और मदर ऑफ पर्ल के 10,000 से ज़्यादा इंटरलॉकिंग टुकड़ों को गोंद की एक एक बूंद को बिना किसी कील से चिपकाकर किया गया था।
फ़िलिस्तीनी इंतिफ़ादा
1987 में गाजा में एक चौकी पर कतार में खड़े चार फिलिस्तीनी लोगों क़त्ल कर दिया गया जिससे पहली बार इंतिफादा की शुरुआत हुई। इंतिफादा का मतलब है है “हिलाना” और इसका इस्तेमाल फिलिस्तीन और मस्जिद अल अक्सा को इजरायली ज़ुल्म से आज़ाद कराने के लिए किया जाता है।
2000 में, एरियल शेरोन ने 1000 से ज़्यादा सिक्योरिटी गार्डों और पुलिस से घिरे मस्जिद अल अक्सा पर मार्च किया। इसने दूसरे फ़िलिस्तीनी इंतिफ़ादा को जन्म दिया। इस मार्च के बाद, मस्जिद अल अक्सा में फिलिस्तीनियों के नमाज़ पढ़ने पर बैन लगा दिया गया, फिलिस्तीनी मर्दों (खासकर 18-50 साल की उम्र के बीच) कुछ वक़्तों में नमाज़ पढ़ने पैर पाबन्दी लगा दी गयी जोकि आज तक जारी हैं।
मार्च 2013 में जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला।। ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी के चेयरमैन महमूद अब्बास के साथ एक मुआहिदे पर डील किया, जिसमें ये माना गया कि जॉर्डन के राजा यरूशलेम में मुक़द्दस मक़ामात के मुहाफ़िज़ है और उन्हें इन सब को बचने के लये सभी कानूनी कोशिश करने का हक़ है। ख़ासकर मस्जिद अल अक्सा को।
नवंबर 2013 में नेसेट (इजरायली संसद) में एक इजरायली कानून लाया गया, जिसमें यहूदियों को मस्जिद अल अक्सा में इबादत करने का हक़ दिया गया। यह ज़ायोनिस्टो की 40 साल की गहन पैरवी का नतीजा था जो मस्जिद अल अक्सा को उसके मौजूदा स्ट्रक्टर को तबाह करना चाहते हैं और इसकी जगह एक यहूदी इबादत गाह बनाना चाहते हैं।
अक्टूबर 2014 में इजरायली अधिकारियों ने 1967 के बाद पहली बार अल मस्जिद अल अक्सा को बंद कर दिया। इसके नतीजे में फिलिस्तीन और मुस्लिम दुनिया में बड़े पैमाने पर इसके ख़िलाफ़ एहतेजाज हुआ और इसके तुरंत बाद अल मस्जिद अल अक्सा को फिर से खोल दिया गया।
Masjid Al Aqsa ki Current Situation
इज़राइल ने मुनज़्ज़म तरीके से ज़्यादातर फ़िलिस्तीनियों को मस्जिद अल अक्सा तक पहुंचने से मना कर रखा है ,और मस्जिद अल अक्सा की बुनियाद को नुकसान पहुंचा कर उसके नीचे खुदाई की इजाजत दे दी है। सुप्रीम मुस्लिम काउंसिल की कई अपीलों के बावजूद इज़राइल मस्जिद अल अक्सा पर हमेशा अपनी फोर्सेस को लगाया हुआ है और फिर भी मस्जिद अल अक्सा को नुकसान पहुंचाने वाले ज़ायोनी इन्तहापसंद को रोकने में नाकाम रहता है
दिलचस्प बात यह है कि यूनाइटेड नेशन ने पुराने येरुशलम पर इजरायल के कब्जे के खिलाफ 20 बिल पास किये ,और यूनाइटेड नेशन के ज़रिये इजरायल तारिख में सबसे ज़्यादा मज़म्मत किया जाने वाला मुल्क है।
Masjid Al Aqsa ki Ahmiyat |मस्जिद ए अक़्सा की अहमियत
Masjid Al Aqsa in Quran
मस्जिद अल अक़्सा का ज़िक्र क़ुरआन में 1 बार आया है | सूरा इसरा में आयात 17 :1 में लिखा है
سُبۡحَٰنَ ٱلَّذِيٓ أَسۡرَىٰ بِعَبۡدِهِۦ لَيۡلٗا مِّنَ ٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡحَرَامِ إِلَى ٱلۡمَسۡجِدِ ٱلۡأَقۡصَا ٱلَّذِي بَٰرَكۡنَا حَوۡلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنۡ ءَايَٰتِنَآۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلۡبَصِيرُ
“पाक है वो जो अपने बन्दे को रातों रात मस्जिद इ हराम से मस्जिद ए अक़्सा तक ले गया। जिनके माहौल को हमने बरकत दी है ताकि हम उसे अपनी कुछ निशानियां दिखाएं बेशक वो सुनने वाला ,देखने वला है’
मस्जिद ए अक़्सा ने नबियों की ज़िन्दगियों में बहुत अहम् किरदार अदा किया ,मस्जिद इ अक़्सा की अहमियत की बड़ी वजह ये थी की ये मस्जिद कई नबियों का घर भी रह चुकी है उस वक़्त ये तौहीद की तब्लीग का मरकज़ था उसके बाद अल्लाह के हुक्म से मोमिनो का रुख मस्जिद ए अक़्सा से काबे की तरफ हो गया, सबसे बड़ी अहमियत तो ये है की मेराज़ की रात आप सल्लाहुआलही वसल्लम को हज़रात जिब्राइल अलैहिस्सलाम इसी मस्जिद से जन्नत की तरफ ले गए और आपकी मेराज हुई
मस्जिद ए अक़्सा के बारे में कुछ मालूमात:
1 मस्जिद ए अक़्सा का अहाता 36 एकड़ में फैला हुआ है इसमें एक 50000 नमाज़ी आराम से नमाज़ पढ़ सकते हैं
2 यहाँ पर एक पीला गुम्बद है जिसे डॉम ऑफ़ रॉक कहा जाता है जिसमे बैजंतीने आर्किटेक्चर की झलक दिखती है
3 मस्जिद ए अक़्सा सिर्फ एक मस्जिद नहीं ये मस्जिदों का एक कलेक्शन है
4 इसकी मुख्य मस्जिद क़िब्ला मस्जिद है जो की हरम अल शरीफ के दक्खिन के कोने में मौजूद है
5 मस्जिद बुराक और मस्जिद मरवानी भी इसी के अहाते में मौजूद है
6 इसी अहाते में हज़रात सुलेमान अलैहिस्सलाम की क़बर भी मौजूद है
7 मस्जिद अल अक़्सा का नाम मस्जिद ए हराम के साथ क़ुरान के सूरा इस्रा में मौजूद है
8 इसी मस्जिद में अल्लाह के रसूल ने तमाम नबियों की जमाात के साथ नमाज़ पढ़ाई थी
अल्लाह से दुआ है की हम सब को इन मुक़द्दस मक़ामात की ज़ियारत अत फरमाए ताकि हम सब अपनी आँखों से इन सबका मुशाहेदा कर पाएं आपके इस टॉपिक Masjid Al Aqsa History in hindi की ये जानकारी कैसी लगी कमेंट में ज़रूर बातएं