Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein

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I Allah Ke pyare Nabi sallallahu alaihi wasllam ek Nazar mein

Allah Ke pyare Nabi sallallahu alaihi wasllam ek Nazar mein

आज के इस टॉपिक Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein हम आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बारे में जानेंगे कि आप सल्ला वाले वसल्लम की पूरी जिंदगी के बारे में एक नज़र में जानेंगे।सारे लोग अल्लाह के रसूल की सीरत पर मोटी मोटी किताबें नहीं पढ़ पाते इसलिए आज इस टॉपिक में हम उन सारे पहलू को जानेंगे जो आपने अपनी हयात e मुबारक में गुजार कर उम्मते मुस्लिमा को एक नमूना पेश किया। आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की पूरी ज़िंदगी हमारे लिए राहे हिदायत है। जिस पर चल कर हम सब कामयाबी कि नई ऊंचाई पर जा सकते है। तो चलिए जानते है Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का खानदान

हजरत मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम से पहले हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने मक्का शहर को आबाद किया उनसे पहले मक्का के चारों तरफ कबीले जुरहुम आबाद हुआ करते थे उसी खानदान में हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की शादी की उनसे जो नस्ल आगे चली उन्हें मुस्तारबा कहा जाता है। ऐसी नस्ल से केदार हिजाज में आबाद हुए और इसी से अदनान हुए जिनकी नस्ले से हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पैदा हुए।

हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम से अदनान तक 40 पुश्तो का वास्ता है और अदनान से हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक 18 पुश्तों का वास्ता है इसी तरह हजरत इस्माइल अली सलाम से हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तक 58 पुश्तों का वास्ता है।

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश।

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश कुरैश के एक इज्जतदार घराने अब्दुल मुत्तलिब के घर 12 रबी उल अव्वल दो आमुलफील यानी 570 ईसवी को सोमवार के दिन हुई।

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की परवरिश

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पैदा होने से पहले ही आप के वालिद का इंतकाल हो चुका था इंतकाल के 6 महीने के बाद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पैदा हुए तो सबसे पहले आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मां ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को 3 दिन तक दूध पिलाया फिर हजरत सौबिया ने 5 दिन तक दूध पिलाया फिर आठवें दिन दाई हलीमा ने आप को दूध पिलाया हलीमा सादिया साल में दो बार मक्का शहर लाकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मां से मिला जाती थी इस तरह आपने 2 साल तक हलीमा सादिया का दूध पिया दाई हलीमा कबीले हवा जिनकी थी और अरब के लोग दूध पिलाने के लिए देहातों में इसलिए भेजते थे ताकि जंगल की खुली हवा में रहकर बच्चा तंदुरुस्त हो जाए।

जब हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 4 साल के हुए और अपने रजाई भाइयों के साथ बकरियां चराने गए तो फरिश्ते आकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का सीना मुबारक चीर कर दिल को निकाला और उसे एक काला दाग हटाकर दिल को औरतों को धो दिया जब यह बात दाई हलीमा को मालूम हुई तो वह डर गई कहीं और कोई शिकायत ना हो जाए इसलिए आप सल्ला वाले वसल्लम को आपकी मां हजरत बीबी अमीना के पास लाइन और सीना के चीर जाने का किस्सा उन्हें बताया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मां ने कहा तुम अभी इन्हें ले आओ यहां की आबो हवा अच्छी नहीं है मैं इन सब बातों से घबराती नहीं हूं इसीलिए कि मुझे मालूम है कि अल्लाह ताला ने इसे बहुत सी करामते दी है।

बीबी अमीना और दादा अब्दुल मुत्तलिब का इंतकाल

जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 6 साल की हुई तो बीबी आमिना यानी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मां आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपने रिश्तेदारों से मिलाने के लिए मदीना ले गई वहां से लौटते वक्त अबवा में एक जगह पर आप सल्ला वाले वसल्लम की वालिदा बीबी आमिना का इंतकाल हो गया और जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 8 साल की हुई तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दादा अब्दुल मुत्तलिब भी इस दुनिया से चल बसे।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चाचा अबू तालिब की परवरिश में

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दादा के बाद आप की परवरिश आपके सगे चाचा अबू तालिब ने कि जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 13 साल की हुई तो एक बार आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने चाचा अबू तालिब के साथ सीरिया जाते हुए बसरा के पास बोहरा नाम के एक राहिब के पास से गुजरे तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नबी होने की निशानियों को देखकर उसने अपनी कौम को बुलाया और सब को बताया कि ये अल्लाह के आखरी नबी होंगे इन्हें पहचान लो।

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का निकाह

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जब दोबारा हजरत खदीजा रजि अल्लाह ताला अन्हु की तिजारती माल लेकर उनके गुलाम “मैसरा” के साथ शाम यानी सीरिया जा रहे थे रास्ते में नस्तूरा के राहिब के पास से गुजरे तो उसने तुरंत पहचान लिया कि यही वह आखरी नबी है और उनके बारे में की गई पेशन गोयी और उनकी निशानियां के बारे में मैसरा से पूरी बातें बताई जिनकी बातें मैसरा ने वापस जाकर हजरत खदीजा से बताया कि ये आखरी नबी है इस पर हजरत खदीजा रजि अल्लाह ताला अन्हा ने तुरंत अपने निकाह का पैगाम भिजवा दिया है जिसे आप सल्ला वसल्लम ने कबूल कर लिया जबकि आप सल्ला वसल्लम की उस वक्त 25 साल की औरत 40 साल की थी और फिर आपका निकाह अबू तालिब ने पढ़ाया ।

काबा की तामीर

जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र 35 साल की हुई तो कुरेश ने काबा शरीफ को फिर से बनाना शुरू किया और हजरे अस्वद जो कि एक काले रंग का पत्थर था उसको रखने का वक्त आया तो लोग आपस में लड़ने लगे हर आदमी यह चाहता था कि मैं इस पत्थर को अपने हाथ से काबे में रखना नसीब हो इस पर लोगों ने मशवरा किया तो “अबु उमैया” ने कहा कल जो आदमी मस्जिद ने सबसे पहले आएगा वो इसका फैसला करेगा।

kaaba shareef
kaaba shareef

इस तरह सबसे पहले मस्जिद ए हराम के दरवाजे से हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दाखिल हुए और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखते ही सब ने कहा हां यह अमीन है यही फैसला करेंगे आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक कपड़े में हजरे अस्वद रखकर कुरेश से कहा कि इस कपड़े का किनारा हर कभी लाओ वाले पकड़ ले जब हजरे अस्वद अपनी जगह पर रखने के करीब हुआ तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने हाथ से लेकर उसके जगह पर रख दिया इस तरह एक बहुत बड़े झगड़े से पूरे कौम को बचा लिया गया।

नबूवत के बाद

नबूवत से पहले ही आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सच्चे ख्वाब देखना शुरू कर दिया था उस वक्त आप सल्लल्लाहो वसल्लम ज्यादातर गारे हीरा में रहते वही इबादत करते यहां तक कि 40 साल आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर वही नाजिल हुई इक्रा बिस्मी रब्बिकल लजी खलक और अल्लाह ने इसी वही के जरिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हुक्म दिया कि उठो और भटके हुए इंसानों को भलाई का रास्ता दिखाओ।

मुसलमानों की तरफ से हब्शा की ओर हिजरत करना

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सफा के पहाड़ से नबूवत का ऐलान किया उसके बाद लोगों ने आप को बुरा भला कहना शुरू कर दिया और बहुत ही तकलीफ ही देनी शुरू कर दी तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कुछ लोगों को लेकर हफ्शा की तरफ हिजरत करने का हुक्म दे दिया जिसमें कुल 10 आदमी थे और उनके अमीर हजरत उस्मान रजि अल्लाह ताला अनु दे बाद में 83 लोगों ने और हिजरत की फिर नबूवत के छठे साल जो भी अभी तालिब में रहना पड़ा जहां खाना पानी तक दुश्वार हो गया और लोग पेड़ के पत्ते खाकर अपना दिन गुजारते थे।

कुरेश की तरफ से बनी हाशिम का बाईकाट

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नबूवत के साथ में साल मक्का के कुरेश ने एक फैसला लिया कि बनी हाशिम और अब्दुल मुत्तलिब के खानदान से कोई शादी ना करें ना उन्हें कोई चीज भेजे ना उनसे कोई सामान खरीदें यह समझौता लिखकर काबा के अंदर टांग दिया गया इस तरह 3 साल तक आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बड़ी कठिनाइयों से गुजारे।

हजरत अबू तालिब और हजरत खदीजा का इंतकाल

Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein नबूवत के दसवें साल एक ही साल में हजरत अबू तालिब और हजरत खदीजा का इंतकाल हो गया जिसमें आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को बहुत ज्यादा तकलीफ हुई उसे के बाद तालाब का वाकिया भी हुआ जिसकी वजह से बराबर गम का सामना करना पड़ा तो अल्लाह ताला ने सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के गम को दूर करने के लिए अपने पास मेराज पर बुलाया।

मेराज का सफर

नबूवत के बारे में साल मक्का में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उम्मे हानी के घर में मेहमान थे उसी वक्त हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम और कुछ फरिश्तों के साथ आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पास आए और अल्लाह के हुक्म उसे मस्जिद ए हराम से मस्जिद ए अक्सा तक ले गए फिर वही आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तमाम नबियों की इमामत की उसके बाद फरिश्ते अर्श ए इलाही पर ले गए जहां आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्नत और दोजख को अपनी आंखों से देखा।

नमाज की फजीलत इस मौके पर अल्लाह ताला ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत पर 50 वक्तों की नमाज फर्ज कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बराबर कम करवाने पर पांच वक्त की नमाज पढ़ने का हुक्म हुआ लेकिन सवाब पूरे 50 वक्त के पढ़ने का बाक़ी रहा।

मदीने की हिजरत

जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मदीने की तरफ हिजरत का हुक्म मिला तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अनहु को साथ लिया और मदीने की तरफ निकल पड़े और रास्ते में गारे सौर में 3 दिन कियाम किया और हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अनहु ने अपने बेटे अब्दुल्ला से कह दिया था कि वह मक्का की खबर रखें कि कौन क्या कह रहा है और अपने गुलाम को हुक्म दिया कि वह दिनभर उनकी बकरियां चराए और शाम को उनका दूध पहुंचा दिया करें।

madina shareef
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Masjid-e-quba और मदीने का पहला जुम्मा

गारे सौर में रुकने के बाद हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कुबा में 4 दिन तक ठहरे और फरमाया एक मस्जिद की बुनियाद रखी जाए जुम्मा के दिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वहां से रवाना हुए और जुम्मा की नमाज बनी सालिम बिन औफ की बिरादरी में पढ़ी जुम्मा की यह पहली नमाज थी जो आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मदीने में पढ़ी।

masjid e quba
masjid e quba

हजरत अबू अयूब अंसारी रजि(o) के घर पर

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उतनी जब मदीने में बनू मालिक बिन अचार के घर पहुंची तो उठ नहीं एक जगह जहां आज मस्जिद-ए-नबवी का दरवाजा है खुद से ठहर गई तो वही रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उठने से उतरे उतरते ही अबू अयूब अंसारी रजिo तुरंत सामान लेकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपने घर ले गए फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कीमत देकर एक जमीन खरीदी और वही मस्जिद-ए-नबवी की तामीर कि दूसरे साल रमजान के रोजे भी फर्ज हो गए

इस तरह मक्का के मुशरिकीन बराबर छेड़छाड़ करते रहे तो अल्लाह की तरफ से दिन में रुकावट डालने वालों के साथ जंग का ऐलान आ गया और फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लगभग 19 जंगों में शरीक हुए।

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जंग की लिस्ट

  1. जंग-ए-बदर    –17 रमजान दो हिजरी में
  2. बनू कैनका के साथ जंग –  शव्वाल 2 हिजरी
  3. गज़वा ए सवीक  – जिलहिज्जा 2 हिजरी
  4. जंगे उहद – 11 शव्वाल 3 हिजरी
  5. सरिया हीमर उल असद – 12 शव्वाल 3 हिज़री
  6. बनू नजीर के साथ जंग – रबी उल अव्वल  4 हिजरी
  7. बद्रे सुगरा की मुहिम – ज़ीकाद 4 हिजरी
  8. गज़वा ए मोरैसिया – 2 शाबान 5 हिजरी
  9. गज़वा ए खंदक – शव्वाल जीकाद 5 हिजरी
  10. बनी कुरैजा के साथ जंग – जीकाद जिल हिज़्ज 5 हिजरी
  11. सुलह हुदैबिया – ज़िकाद 4 हिजरी
  12. गज़वा ए गाब – जिल हिज्ज 6 हिजरी
  13. जंगे ख़ैबर – मुहर्रम 7 हिजरी
  14. गज़वा ए वादिउल कुरा फिदक – मुहर्रम 7 हिजरी
  15. अदा ए उमरा – मुहर्रम सफ़र 7 हिजरी
  16. जंगे मौता – जमदिल उला 8 हिजरी
  17. फतेह मक्का – 20 रमज़ान 8 हिजरी
  18. जंगे हुनैन – 8 हिजरी
  19. गज़वा ए तबूक – रजब 4 हिजरी

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शादियां

सबसे पहली शादी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पच्चीस साल की उम्र में खदीजा रजिo से की जिनकी उम्र 40 साल की थी इससे पहले हजरत खदीजा की दो शादियां हो चुकी थी फिर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दूसरी शादी हजरत सौदा रजिo से उस समय आप सल्ला वसल्लम की उम्र 50 साल से ज्यादा हो चुकी थी और यह बेवा थी उनके बाद हजरत आयशा रजि अल्लाह से 54 साल की उम्र में निकाह किया जबकि हजरत आयशा राजी अल्लाहु अनहा से कि उस वक्त 8 साल की थी

चौथी शादी हजरत हफ़्सा रजि अल्लाहु अन्हा से 55 साल की उम्र में हुई पांचवी शादी हजरत जेनब बिंत खुजैमा रजिo से 55 साल की उम्र में हुई छठी शादी हजरत उम्मे सलमा रजिo से 56 साल की उम्र में हुई साथ में शादी हजरत जेनब बिनती जहश रजि अल्लाहु अनहा से 57 साल की उम्र में हुई आठवीं शादी हजरत जुवेरिया रजिo से 57 साल की उम्र में हुई शादी हजरत हबीबा रजिo से 57 साल की उम्र में शादी है 58 साल की उम्र में हुई और 11वीं शादी हजरत आयशा से इनके के अलावा आप ने सारी शादीयां विधवा औरतों से की ताकी दीनी कामों में मदद मिल सके।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बेटे

हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तीन बेटे हुए

कासिम, अब्दुल्ला और इब्राहिम

आपके सबसे पहले बेटे कासिम रजि अल्लाह ताला अनु जिनकी वफात पैदाईश के 2 साल बाद हो गई थी

आप के दूसरे बेटे अब्दुल्ला मक्के में बचपन में ही वफात हो गई थी

आपके तीसरे बेटे इब्राहिम यह मारिया कीबतिया रजि अल्लाह ताला अन्हा से है इनका इंतकाल 18 महीने के बाद हुआ इन्हीं को तैयब और ताहिर भी कहा जाता है।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटियां

आप सल्ला वसल्लम की 4 बेटियां थी

सैयदा ज़ैनब रज़ी अल्लाह ताला अन्हा

सय्यदा रुकैया रजि अल्लाह ताला अन्हा

सैयदा उम्मे कुलसूूम रजि अल्लाह ताला अन्हा

सैयदा फातिमा रजि अल्लाह ताला अन्हा

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे और नवासियां

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के 5 नवासे और 2 नवासिया थी

हजरत अली रजिo

हजरत अब्दुल्ला रजिo

हजरत हसन रजिo

हजरत हुसैन रजिo

सैयदा उमामा रजि अल्लाह ताला अन्हा

सैयदा उम्मे कुलसूम रजि अल्लाह ताला अन्हा

सैयदा जेनब रजि अल्लाह ताला अन्हा

हज्जतुल विदा

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हज के इरादे से 25 ज़ीकाद सनीचर के दिन जूहर के बाद निकले जिसमें लगभग 124000 से 30000 तक लोग थे और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखिरी जो खुतबा दिया उसमें इस्लाम की तमाम बुनियादी बातों की तरफ लोगों को मुतावज़्जा किया।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात

Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein लोगों को मुतावज़्जा किया और अल्लाह का पैगाम पहुंचा दिया तो हज्जतुल विदा के बाद की बातों से पता चलने लगा था कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अब ज्यादा दिनों तक साथ नहीं रहेंगे आप सल्ला वाले सलाम के सर में दर्द और बुखार हजरत मैमूना रजि अल्लाह ताला अन्हा के घर से शुरू हुआ और हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला अन्हा के घर सोमवार के दिन 12 रबी उल अव्वल 11 हिजरी को जोहर के बाद अपने रब्बे हकीकी से जा मिले उस वक्त आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्र शरीफ 63 साल की।

तो आज हमने अल्लाह के रसूलसल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हालाते जिंदगी के बारे में  जाना अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की जिंदगी हमें बहुत कुछ सिखाती है इस पर अमल पैरा होकर हम अपने आपको कामयाबी के दरवाजे पर ले जा सकते हैं तो दोस्तों कैसा लगा आपको यह टॉपिक पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ सवाब की नियत से जरूर शेयर करें।

Jazakallah Hu khair

5 thoughts on “Allah Ke Pyare Nabi sallallahu alaihi wasallam ek Nazar mein”

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