12 Rabiul Awwal ek Nazar mein

12 Rabiul Awwal Eid Milad un Nabi ki Haqeeqat

12 Rabiul Awwal को बर्रे सगीर में मनाई जाने वाली ईद भी हम मुसलमानों में बहुत बड़े इख्तेलाफ का टॉपिक बना हुआ है। चलिए हम 12 Rabiul Awwal Eid Milad un Nabi ki Haqeeqat और इस दिन के बैंकग्राउंड के बारे में जानते है और देखते है की सहाबा के दौर में ये दिन किस तरह गुजरा।

Allah ke Rasool ka Marzul Maut

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम की वफात के 1 साल पहले एक यहूदी औरत ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दावत ली आप अपने सहाबा के साथ दावत पर तशरीफ ले गए उस यहूदी औरत ने खाने में जहर मिला कर पेश किया जिसको खा कर 2 सहाबा इंतेकाल कर गए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खाने का निवाला चबाया और ज़हर का असर होते ही उसे निगल दिया। रिवायत में आता है कि आपको आखिरी वक्त तक होने वाले मर्ज कि तकलीफ का सबब यही ज़हर था

आप सल्ला वाले वसल्लम के मर्ज में कमी बेशी होती रहती थी। ख़ास वफात के दिन (12 Rabiul Awwal) के दिन आपके हुजरे मुबारक जो मस्ज़िद ए नबवी के सामने ही था आपने पर्दा उठा कर देखा कि सारे सहाबा फज़र की नमाज़ पढ़ रहे थे ये देख कर आप खुश हुए लोगों ने समझा कि आप नमाज के लिए आना चाहते हैं मेरे खुशी के सारे सहाबा बेकाबू हो गए मगर आपने इशारे से रोक कर हुज़रे में वापिस दाखिल हो गए । ये आखिरी बार था कि सहाबा किराम ने अल्लाह के रसूल का दीदार किया।

इसके बाद आप सल्लल्ललाहु अलैहि वसल्लम पर बेहोशी तारी होने लगती थी आपकी चहेती बेटी हज़रत फातिमा ज़हरा राजि0 ताला अन्हा की जबान से गम कि शिद्दत से ये अल्फ़ाज़ निकल पड़े “हाय रेे मेरा वालिद की बेचैनी “

अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि ऐ मेरी बेटी “तेरा बाप आज के बाद कभी बेचैन नहीं होगा”

बुखारी जिल्द 2 पेज नंबर 241 chapter marz un Nabi sallallahu alaihi wasallam

Allah ke Rasool ke Akhiri Alfaaz

वफात से थोड़ी देर पहले सह पहर का वक़्त था कि आपके सीने अकदस में घरघराहट महसूस होने लगी इतने में आपके होंठ मुबारक हिले और लोगों ने सुना

नमाज़ और गुलामों का खयाल रखो

आपके पास पानी कि एक लगन थी आप उसमे बार बार हाथ डालते और अपने चेहरे अकदस पर मलते और कलमा पढ़ते आप अपनी चादर को अभी मुंह पर डालते तो कभी हटा देते हजरत आयशा आपके पर बैठी हुई थी इतने में आपने हाथ उठा कर हाथ से इशारा किया और 3 मरतबा फरमाया “अब कोई नहीं वो बड़ा रफीक चाहिए”

यही अल्फ़ाज़ मुकद्दस जबान पर थे कि आप के हाथ लटक गए और आँख ऊपर की तरफ खुली रह गई। और आप इस दुनिया से रुखसत हो गए।(inna lillahi wainna ilaihi razioon)

बुखारी जिल्द 2 पेज 640

आप की वफात और पैदाईश में उल्मा ए किराम का इतिफाक है कि महीना Rabiul Awwal का था और तारीख 12 थी

Allah ke Rasool (saw) ki Wafat ka Sahaba per Asar

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात पर सहाबा इकराम को इतना बड़ा सदमा हुआ कि इसका जिक्र किया ही नहीं जा सकता।

हजरत उस्मान रजि अल्लाह ताला अन्हु पर ऐसा वक्त आ गया कि वह इधर-उधर मारे मारे फिरते थे किसी से ना कुछ सुनते थे ना किसी से बात करते थे। इस तरह का गम और मायूसी का आलम था।

हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हू रंजो गम में इस तरह निढाल हो गए थे कि उनमें उठने बैठने की ताक़त भी बकी ना रही

हजरत अब्दुल्ला बिन उनैस (राजि0) को जब अल्लाह के रसूल की वफात की खबर मिली तो उनके दिल पर ऐसा धक्का लगा ऐसा सदमा लगा कि उनको दिल का दौरा पड़ गया और वो इंतकाल कर गए।

हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनु तो इस कदर बेचैन हो गए थे कि उन्होंने तलवारे निकाल ली और इधर-उधर टहलने लगे और यह कहने लगे “अगर किसी ने यह कहा कि मोहम्मद सल्ला वाले वसल्लम का इंतकाल हो गया है तो मैं उसकी गर्दन मार दूंगा”

Wafat ke baad Abu Baqar Raziallahu tala anhu ka khutba

 हजरत अबू बकर रजी अल्लाह ताला अनु को इस बात का पता चला कि रसूल सल्लल्लाहो सल्लम इस दुनिया से पर्दा फरमा चुके हैं तो आप सीधे हजरत आयशा के हुज्रे में आए और आप सलल्लाहू अलैहि वसल्लम के रूखे अनवर से चादर हटाकर आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के दोनों आंखो के दरमियान में बहुत ही गरमजोशी के साथ बोसा दिया और फरमाया “आप अपनी जिंदगी और वफात दोनों ही हालत में पाक़ीज़ा रहे मेरे मां-बाप आप पर फिदा हूं हरगिज़ अल्लाह ताला आप पर दो मौतों को जमा नहीं फरमाएगा आपकी जो मौत लिखी हुई थी आप उस मौत के जरिए वफात पा चुके हैं”

इसके बाद हजरत अबू बकर रजी अल्लाह ताला अनु मस्जिद में तशरीफ लाए और लोगों को मुखातिब करते हुए खुत्बा दिया

तुममें जो शख्स मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पूजा करता था वह जान ले कि मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की वफात हो चुकी है और तुममें जो अल्लाह की इबादत करता था वह जान ले कि अल्लाह ताला जिंदा है वो नहीं कभी नहीं मरता।

Khutba Abu Baqar Siddique raziallahu tala Anhu (Refrence)

फिर उसके बाद हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अंहू ने सूरत इमरान की तिलावत फरमाई

“और मुहम्मद(saw) तो एक रसूल हैं,उनसे पहले बहुत से रसूल हो चुके है। तो क्या अगर वह इंतिक़ाल कर जाए या शहीद हो जाए तो क्या तुम उल्टे पांव फिर जाओगे और जो उल्टे पांव फिरेगा वो अल्लाह का के कुछ नुकसान नहीं करेगा और अनकरीब अल्लाह ताला शुक्र करने वाले को सवाब देगा।”

Surah Aal-Imran (3:144)

हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि0 का खुतबा सुनकर बहुत से सहबी इस आयत को दोहराने लगे और उनका अपने आप को कंट्रोल किया और उनको यकीन हो गया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस दुनिया से रुखसत हो गए हैं।

Sabaq

12 Rabiul Awwal वो दिन है जब हजरत फातिमा रजी0 के सर से वालिद का साया उठ गया

यह वह दिन है जब सहाबा ग्राम कसम से निढाल होकर बेहोश होकर गिर रहे थे

यह वह दिन है जब आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम पर वही आना बंद हो गई।

12 रबी उल अव्वल वो दिन है जब अज़्वाज मुताहहरात वेवा हो गई

12 Rabiul Awwal वो दिन है जब दुश्मनों को मुसलमानों कि सफो में घुस्ने का मौका मिलना शुरू हो गया ताकि नफ़रत फैलाना शुरू किया जाए।

यही वह मुनाफिक थे जिनके लिए 12 रबी उल अव्वल खुशी का दिन था

अल्लाह गवाह है आज से कुछ साल पहले जाने 5 से 6 साल पहले इस दिन को 12 रवि अव्वल को 12 वफात के नाम से मनाया जाता था लेकिन आगे चलकर इसका नाम चेंज करके इसको मिलादुन्नबी किया गया फिर आगे इसका नाम ईद ए मिलाद उन नबी कर दिया गया अल्लाह रहम करे समझ कौन समझाए बस अल्लाह ही हिदायत देने वाला है।

आज हम 12 रबी उल अव्वल को किस की सुन्नत पर अमल कर रहे हैं क्या कर रहे हैं क्या यह अमल किसी सहाबा ने पहले दौर में किया? या नए लोगों की निकली हुए एक बिदत है

मेरे अजीज थोड़ा भी गौर करो क्या सहाबा से बढ़कर अल्लाह के रसूल के मोहब्बत का और कोई दावेदार हो सकता है? जब उन्हें इस दिन का जश्न मनाने का अंदाजा नहीं हुआ तो हमारी क्या हैसियत है कि उनसे आगे बढ़कर इस दिन जशन मनाया जाए।

यकीनन अल्लाह के रसूल की पैदाइश की खुशी हर मोमिन को होती है और होनी भी चाहिए मगर हमारी खुशी सियासी रंग में ना रंग जाए,हमारी खुशी गैर मुस्लिमो के उपर फख्र जताने वाले ना बन जाए।

हमारी खुशी तो शरीयत की पाबंद है। जो अल्लाह के प्यारे रसूल ने और सहाबा e किराम ने अपनी जिंदगी अमल कर कर दिखा दिया हम उसके पाबंद है। वही हमारे लिए दलील और हुज्जत होनी चाहिए।

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Hum khushi kis tarah manaye

मेरे अजीजो सहाबा किराम रजि अल्लाह ताला अनहु अल्लाह के रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की आमद पर उनकी तालीमात पर अमल करके ज़िन्दगी के हर लम्हे में खुशी मनाई उनकी तालीमत पर अमल करके दुनिया में इस्लाम का परचम और बोलबाला कर दिया आज उसी के नतीजे में हम सभी ईमान वाले हैं।

हमें भी अल्लाह के रसूल की तालीमात पर अमल करके और उसको फैला कर अपनी हकीकी ज़िन्दगी में ख़ुशी लानी है।

Conclusion

तो आज के इस टॉपिक 12 Rabiul Awwal ek Nazar mein इस दिन के खुलासे

के बारे के जाना और हालात के पस मंज़र को जाना आपको ये टॉपिक अच्छा लगा हो तो लाजमी शेयर करें

अल्लाह से दुआ है की अल्लाह हम सबको कहने सुनने से ज़्यादा अमल की तौफीक़ अता फरमाए।

हम सब को एक और नेक बनाए और सीधे रास्ते पर चलाए

हमें अल्लाह के रसूल की एक एक सुन्नत पर अमल करने वाला बना दे।

जब तक जिंदा रख ईमान पर और खत्म भी ईमान पर नसीब फरमा आमीन

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