Sadqatul Fitr ke Ahkam o Masail

Sadqatul Fitr ke Ahkam o Masail

आज की इस पोस्ट में Sadqatul Fitr ke Ahkam o Masail के बारे में जानेंगे यानी किन किन लोगों को को sadqatul fitr दिया जा सकता है किनको नहीं दिया जा सकता है कितना दिया जा सकता है सदके में क्या दिया जा सकता है किन लोगों को दे जा सकता है किन लोगों को देना जायज है उसके मसले और इहकाम के बारे में इस पोस्ट में जानेंगे

हज़रत अब्दुल्ला बिन उमर रजि० से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल ने sadqatul Fitr को जरूरी बताया यानी एक आदमी जो मुसलमान है और आजाद है छोटा हो या बड़ा उस पर 1 “सा” खज़ूर या “जौ” ईद की नमाज पढ़ने से पहले पहले अदा करने का हुक्म दिया। (मिश्कात शरीफ़ पेज160)

Sadqatul Fitr kis per Wajib hai

Sadqatul Fitr ऐसे आदमी पर वाजिब है जिस पर जकात फ़र्ज़ है यानी जिस आदमी के पास साढ़े 52 तोला चांदी हो या इस कीमत का नगद सामान हो अगर सोना ,चांदी और नगद समान को मिलाकर साढ़े 52 तोला चांदी के बराबर रकम हो जाती है तो उस आदमी पर sadqatul Fitr वाजिब है। जकात पर फर्ज़ होने के लिए यह जरूरी है कि माल निसाब पर चांदी के हिसाब से 1 साल गुजर जाए लेकिन sadqatul Fitr वाजिब होने के लिए यह शर्त नहीं है अगर रमजान की 30 तारीख को भी पैसा पास में आ गया जिस पर sadqatul Fitr वाजिब हो जाता है ईद उल फितर की सुबह सुबह होते ही sadqatul Fitr वाजिब हो जाएगा।

Sadqatul Fitr ke Fayde

सदकतुल उल फितर अदा करने के लिए एक हुक्म को अंजाम देने का सवाब मिलता ही है उसके साथ साथ दो और फायदे हैं

सबसे पहला फायदा यह है कि सदकतुल उल फितर रोजे को पाक साफ करने का काम करता है रोजे की हालत में जो फिजूल बातें इंसान कर जाता है और जबान से कुछ गलत बातें निकल जाते हैं तो सदकतुल फितर के जरिए रोजा से इन चीजों को पाक साफ कर दिया जाता है

दूसरा फायदा यह है कि ईद के दिन मिस्कीन और गरीबों की खुराक का इंतजाम हो जाता है और इसीलिए ईद की नमाज को जाने से पहले ही सदकतुल फित्र अदा करने का हुक्म दिया गया है देखो कितना सस्ता सौदा है सिर्फ 2 शेर गेहूं देने से 30 रोजे की सफाई हो जाती है यानी गंदी बातों से रोजे में जो मिलावट हो गई है उसके असर से रोजे साफ और पाक हो जाते हैं

Kiski taraf se sadqatul Fitr ada kiya jaye

सदका तुल फितर हर बालिग औरत पर अपनी तरफ से देना वाजिब है शौहर के जिम्मे उसका सदका ए फितर अदा करना जरूरी नहीं और जो नाबालिग औलाद है उसकी तरफ से वालिद पर sadqatul Fitr देना वाजिब है बच्चों की वालिदा एनी बच्चों की मां के जिम्मे बच्चों का सदका तुल फितर देना लाजिम नहीं है

अगर बीवी कहे कि मेरी तरफ से अदा कर दो और शोहर बीवी की तरफ से ज्यादा कर दें तो अदा हो जाएगा उसके जिम्मे बीवी की तरफ से अदा करना लाजिम नहीं है जब मुसलमान जिहाद क्या करते थे तो उनके पास जो काफिर कैदी होकर आते थे उनको गुलाम और बांदी बना लिया जाता था जिसकी मिल्कियत में गुलाम और बांदी होता उसके ऊपर और बांदियों की तरफ से भी सदकतुल फितर देना वाजिब होता था आजकल कहीं इस तरह की जंग होती नहीं है तो गुलाम और बंदियों का मसला खत्म हुआ।

Acche Akhlaq ki Ahmiyat aur Fazilat

Mehmaan Nawazi ke Adaab

Dua starting with rabbana

Sadqatul Fitr me kya diya jaye

हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने सदकतुल उल फितर देने के सिलसिले में दिनार और दिरहम यानी सोने और चांदी का सिक्का जिक्र नहीं किया बल्कि जो चीजें घरों में आमतौर पर खाई जाती हैं उन्हीं को देने का जिक्र किया है हदीस में आता है कि एक सा खजूर यानी एक सा जो सदकतुल फितर में देने का जिक्र है दूसरी हदीसों में एक सा पनीर या एक सा किशमिश देने का भी जिक्र आया है बाज रिवायत में एक सा गेहूं दो आदमियों के तरफ से भी देने का ज़िक्र आया है।

सदका अदा करने में गेहूं का आटा भी दिया जा सकता है वजन वही है जो ऊपर बताया गया है और जौ का आटा भी दिया जा सकता है इसका वजन भी वही है जो पहले बताया जा चुका है

फित्रा अदा करने के लिए गेहूं के बराबर नकद कीमत भी दी जा सकती है यानी गेहूं के बराबर जो पैसा उस टाइम चल रहा हो उसके बराबर पैसा दिया जाए उसका देना अफजल है अगर गेंहू और जौ के अलावा किसी दूसरे अनाज से सदका अदा करें जैसे चना चावल, उड़द, जवार और मक्का वगैरह देना चाहे तो इतना दे कि उसकी कीमत एक शेर 12:30 छटांक या उससे दुगने जो कीमत के बराबर हो जाए ।

Note एक सा कुछ ऊपर 3:30 सेर का होता था हिंदुस्तान में जब इसका हिसाब लगाया तो एक शख्स का सदका तुल फितर गेहूं के एतबार से एक सेर 12:30 छटाक हुआ आमतौर से किताबों में आवाम की रिवायत से यही तोल वाली बात लिखी जाती है अगर एक घर में मियां बीवी और चंद नाबालिग बच्चे हो तो मर्द पर अपनी तरफ से और हर नाबालिग औलाद की तरफ से सदका तुल फ़ित्र में हर आदमी के हिस्से में एक सेर 12:30 छठा गंदुम या उसका दुगना जौ या छुआरे या किशमिश देना वाजिब है बीवी की तरफ से मर्द पर सदका तुल फित्र देना वाजिब नहीं और मां जितनी भी मालदार है नाबालिग औलाद का सदका तुल फितर उसको अदा करना वाजिब नहीं यह सब बाप के होता है।

Sadqatul Fitr Ada karne ka Waqt

Sadqatul Fitr ईद के दिन सुबह के तुलू होने पर वाजिब होता है।अगर कोई आदमी उससे पहले मर जाए तो उसकी तरफ से सदकातुल फितर वाजिब नहीं।

Masla-

Sadqatul Fitr ईद से पहले भी दिया जा सकता है अगर पहले नहीं दिया तो ईद के नमाज के लिए जाने से पहले भी आदा कर दिया जाए अगर किसी ने नमाज से पहले या बाद में भी ना दिया तो उसकी अदाएगी उसके ऊपर बाकी रहेगी।

जो बच्चा ईद की सुबह हो जाने के बाद पैदा हो उसकी तरफ से सब पैसे दे देना वाजिब नहीं

जो आदमी साहिबे निसाब है उसको सदका फित्र देना वाजिब नहीं

अपनी औलाद मां-बाप और नाना-नानी दादा-दादी को जकात और सदका नहीं दे सकता हैं बल्कि दूसरे रिश्तेदारों को मसलन भाई-बहन चाचा मामू और खाला वगैरह को दे सकते हैं शोहर बीवी को या बीवी शौहर को सदका दे तो पूरा नहीं होगा और सैय्यद लोगों को भी सदका फितर देना जायज नहीं।

जिन रिश्तेदारों को जकात और फितर देना जायज है उनको देने से दोहरा सवाब मिलता है क्योंकि उनमें सिला रह्मी का सवाल भी शामिल हो जाता है

नौकरों को सदक ए फितर देना अपने गरीब नौकरों को भी सदका और फितरा दे सकते हैं मगर उनकी तनख्वाह से काटने दुरुस्त नहीं है

आज की इस पोस्ट में हमने Sadqatul Fitr ke Ahkam o Masail के बारे में जाना तो दोस्तों आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो आप इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ताकि दिन की मालूमात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके।

Jazakallah hu khair

1 thought on “Sadqatul Fitr ke Ahkam o Masail”

Leave a Comment