Darood Sharif ki Fazilat
अल्लाह ताला ने जहां अपने महबूब नबी को बहुत से कमालात से नवाजा है वहीं एक ख़ास खासियत जो सिर्फ आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के लिए ही खास है और वो खासियत और Darood Sharif ki Fazilat की है
आखिरी नबी , रहमते आलम, रसूले हाशमी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम से अकीदत और मुहब्बत और इत्तिबा और फरमा बरदारी के अलावा वो हुकूक भी है जो अल्लाह ने उम्मते मुहम्मदिया को अता किए Darood Shareef को भी उनमें से एक ख़ास मकाम हासिल है।
अल्लाह का इरशाद है
إِنَّ ٱللَّهَ وَمَلَٰٓئِكَتَهُۥ يُصَلُّونَ عَلَى ٱلنَّبِيِّۚ يَٰٓأَيُّهَا ٱلَّذِينَ ءَامَنُواْ صَلُّواْ عَلَيۡهِ وَسَلِّمُواْ تَسۡلِيمًا*
(سورہ الاحزاب/56)
तर्जुमा:-बेशक अल्लाह और उसके फरिश्ते नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजते हैं ईमान वालो तुम भी इन पर दरूद और सलाम भेजा करो।
इसका जवाब में अफजल तो दरूद इब्राहिमी है जो हर नमाज में अत्ताहियात के बाद में भी पढ़ते हैं
Darood e ibrahimi
اللَّهُمَّ صَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
كَمَا صَلَّيْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
.إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
اللَّهُمَّ بَارِكْ عَلَى مُحَمَّدٍ، وَعَلَى آلِ مُحَمَّدٍ
كَمَا بَارَكْتَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَعَلَى آلِ إِبْرَاهِيمَ
.إِنَّكَ حَمِيدٌ مَجِيدٌ
अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदिंव वाअला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लयता अला इब्रहीमा वआला आलि इबराहीमा इन्नका हमीदुम मजीद।
अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिंव वआला आलि मुहम्मदिंन कमा बरकता अला इब्रहिमा वअला आलि इब्राहीमा इन्नका हामीदुम मजीद।
आका सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम आपकी मोहब्बत का की दरूद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर पढ़ो और खुद संवर जाऊं क्योंकि जो एक मर्तबा भी दुरुद शरीफ पढ़ता है उस पर अल्लाह ताला 10 रहमत नाजिल फरमाता है
जैसे इस्लामी महीनों को कुछ महीनों पर फजीलत हासिल है इसी तरह जुम्मा मुबारक को भी बाकी दिनों पर खास अजमत हासिल है खासकर इस दिन पर नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजने की कुछ और ही फजीलत और मर्तबा हासिल है बिला शुबह दुरूद ए पाक फजीलत वाला अमल है।

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया बेहतरीन दिन जिस पर सूरज निकला जुम्मा का दिन है इसी दिन हजरत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा किया गया इसी दिन जन्नत में दाखिल किए गए इसी दिन जन्नत से निकाले गए और इसी दिन कयामत कायम होगी ( मुस्लिम शरीफ)।
नबी अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का फरमाने आलीशान है की जुमा के दिन और रात कसरत से दरूद शरीफ पढ़ा करो जो ऐसा करेगा कयामत के दिन मैं मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम उसकी शिफाअत करूंगा।
एक मर्तबा दरूद शरीफ पढ़ने से अल्लाह ताला के 10 रहमत नाजिल होती हैं
सहाबी ए रसूल हज़रत अबू हुरैरा रजि अल्लाहु ताला अनहू से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स मुझ पर एक मर्तबा दुरुद भेजता है अल्लाह ताला उस पर 10 रहमत नाजिल कमाता है (मुस्लिम शरीफ)।
एक मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने से 10 गुनाह माफ होते हैं और 10 दर्जन बुलंद होते हैं

हजरत अनस रजि अल्लाह अन्हुव से मरवी है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो आदमी मुझ पर एक मर्तबा दुरुद शरीफ भेजता है अल्लाह ताला उस पर 10 रहमत नाजिल फरमा आता है 10 गुनाह को मिटा देता है और 10 दरजात को बुलंद कर देते हैं।
दरूद शरीफ कसरत से पढ़ा जाए तो परेशानियों से निजात मिलती है हजरत उबई इब्ने काब राजि अल्लाहू अन्हू बयान करते हैं कि मैंने रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज किया कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम मैं आप पर ज्यादा दरूद पढ़ता हूं तो आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम आपका क्या ख्याल है कितना दरुद पढ़ लिया करो
आप सल्ल ल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जितना चाहो मैंने कहा चौथा हिस्सा आप सल्ला वाले वसल्लम ने फरमाया जितना चाहो अगर इससे ज्यादा पढ़ोगे तो तुम्हारे लिए बेहतर है मैंने अर्ज किया कि आधा हिस्सा आप सल्ला वाले सब ने फरमाया जितना चाहो अगर इससे ज्यादा पढ़ोगे तो वह तुम्हारे लिए बेहतर है मैंने कहा दो तिहाई हिस्सा आप सल्ला वसल्लम ने फरमाया जितना चाहो अगर इससे भी ज्यादा पढ़ो तो तुम्हारे लिए बेहतर है मैंने कहा कि मैं आप सल्ला वसल्लम पर दरूद ही पढ़ता रहूं आप ने फ़रमाया तब तुम्हें तुम्हारी परेशानियों से बचा लिया जाएगा और तुम्हारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।
एक और रिवायत में है कि तुम्हें अल्लाह ताला दुनिया और आखिरत की परेशानियों से बचा लेगा। (तिर्मीजी शरीफ)
Darood Sharif ki Fazilat
हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजिo से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया कायामत के दिन मेरे सबसे करीब वह लोग होंगे जो मुझ पर बहुत ज्यादा दरूद शरीफ भेजते हैं। (तिर्मीजी शरीफ)
हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि मेरी कब्र को इबादत गाह ना बनाओ और मुझ पर दरूद भेजो यकीनन तुम्हारा दरूद मुझ तक पहुंचता है चाहे तुम जहां भी पढ़ो (अबू दाऊद)
हजरत अली इब्ने अबी तालिब रजि अल्लाह ताला अन्हू से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया सही मायनों में बख़ील यानी (कंजूस) वह आदमी है जिसके पास मेरा नाम का ज़िक्र हुआ लेकिन उसने मुझ पर दरूद नहीं पढ़ा। (तिर्मीजी)
mashaallah nice post
Bahut achhi post