Laylatul Qadr Ya Shabe Qadr Kya hai

Laylatul Qadr Ya Shabe Qadr Kya hai

अल्लाह अज़्ज़ोवजल क़ुरआन ए मजीद मैं फ़रमाता है :
“यक़ीनन हम ने इसे (क़ुरआन) को शब ए क़द्र मैं नाज़िल फ़रमाया, तुम क्या समझे के शब ए क़द्र क्या है? शब ए क़द्र एक हज़ार “महीनों” से बेहतर है, उस (मैं हर काम) के सरंजाम देने को अपने रब के हुक्म से फ़रिश्ते और रूह उतरते हैं, ये रात सारासर सलामती की होती है और फ़ज्र के तुलू होने तक (रहती है)।”
[सुरह क़द्र 97, आयत 1-5]

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
“ऐ लोगो ये बरकत वाला महीना तुम्हारे नज़दीक आ रहा है और अल्लाह ने ये हुक्म दिया है की तुम इस महीने मैं रोज़े रखो। इस महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और शैतानो को जकड़ दिया जाता है। और इस महीने में एक रात है जो हज़ार महीनों से बेहतर है। जो इस महीने में अल्लाह की बरकत से महरूम रहा वो हर भलाई से महरूम रहा।”
[मुसनद अहमद – 7148]

Laylatul Qadr Ka waqt – लैलतुल क़द्र का वक़्त:

 लैलतुल क़द्र रमज़ान के आख़िरी अशरे की ताक़ रातो मैं तलाश करनी चाहिए।

आयशा रज़ि अल्लाहू अन्हा रिवायत करती हैं की रसूल अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “रमज़ान की आख़िरी अशरे की ताक़ रातो मैं लैलतुल क़द्र तलाश करो।”
[सही बुख़ारी : 2017]

इससे ये पता चलता है की आख़िरी 10 टाक रातो में एहतीमाम के साथ इबादत करनी चाहिए और सिर्फ़ 27 को ऐतकाफ़ नई करनी चाहिए।

۞ रमज़ान के आख़िरी आशरे में अपने अहल ओ अयाल को इबादत के लिए ख़ुशी तरग़ीब दिलाना मसनुन है:

इसका मतलब सिर्फ़ ख़ुद ही नई बल्कि अपने बच्चों को और अपने घर वालो को इस की तरफ़ तवज्जो दिलाना चाहिए:

हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहू अन्हा फ़रमाती है की रमज़ान के आख़िरी आशरे में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बाक़ी दिनों की निस्बत इबादत में ज़्यादा कोशिश फ़रमाते।
[सुनन इब्ने माजाह: 1767]

हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहू अन्हा फ़रमाती हैं के जब रमज़ान के आख़िरी 10 दिन शुरू होते तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इबादत के लिए कमर-बस्ता हो जाते (कमर कस लेते), रातो को जागते और अपने अहल ओ अयाल को भी जगाते।
[सुनन इब्ने माजाह : 1768]

 लैलतुल क़द्र में की जाने वाली इबादत:-Laylatul Qadr me ki Jane Wali Ibadatein

 लैलतुल क़द्र में इबादत ग़ुज़िश्ता गुनाहो की मग़फ़िरत का बाइस है:

अबु हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हु रिवायत करते हैं की रसूल अल्लाह सलअल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “जिसने लैलतुल क़द्र मैं ईमान के साथ सवाब की नियत से क़ियाम किया, उसके ग़ुज़िश्ता गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।”
[सही बुख़ारी : 2014]

लैलतुल क़द्र में सारी नेकी या इबादत हम करते हैं उस में से बेहतरीन है तवील क़याम। लेकिन जो ये ना कर सके वो बैठ कर ज़िक्र और अज़कार करे।

 लैलतुल क़द्र में की जाने वाली दुआ: Laylatul Qadr Ya Shabe Qadr ki Dua

उम्मुल मोमेनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा रज़ी अल्लाहो अन्हा ने फ़रमाया:-

या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम अगर शब-ए -क़द्र मिल जाए तो क्या दुआ करूँ ? तो आप सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फ़रमाया, कहो

“” اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي “”

“अल्लाह हुम्मा इन्नका अफ़ुवून तुहिब्बुल अफ़वा फअफ़ू अन्नी”

तर्जुमा :- या अल्लाह तू मुआफ़ करने वाला है और मुआफ़ करने को पसंद करता है इसलिए मुझे मुआफ़ फ़रमा,

📗{सुनन इब्न-ए-माजा जिल्द 3 हदीस 731 सनद सही}
{जामिया तिर्मिज़ी हदीस 3513 }

۞ क़ुरआन पढ़ना

हजरत अब्दुल्ला बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हु फ़रमाते है, “रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसलम लोगो के साथ भलाई करने में बहुत ज़्यादा सख़ी थे लेकिन रमज़ान में जब हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम आपसे मिलते तो आप और भी ज़्यादा सख़ी हो जाते। रमज़ान में जिब्रील अलैहिस्सलाम हर रात आपसे मिला करते और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रमज़ान गुज़रने तक उन्हे क़ुरआन मजीद सुनाते थे। जब जिब्रील अलैहिस्सलाम आपसे मिलते तो आपकी सख़ावत तेज़ हवाओ से ज़्यादा बढ़ जाती।
[सही बुख़ारी : 3554]

۞ हैज़ा औरतों की लैलतुल क़द्र मे इबादत:

हैज़ा औरते सारी इबादत कर सकती है सिवाय नमाज़, रोज़ा, तवाफ़ ए काबा और ऐतकाफ़ बैठने के। इन चार चीज़ों को छोड़ कर हैज़ा औरते सारी इबादते कर सकती हैं।

हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहू अन्हा फ़रमाती हैं कि एक हज मे मैं हैज़ा हो गयी, तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: “बैतुल्लाह का तवाफ़ के अलावा बाक़ी हर वो काम करो जो हाजी करता है।”
[सही बुख़ारी : 293]

उम्मे अतिया रज़ि अल्लाहू अन्हा फ़रमाती हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हैज़ वाली औरतों को भी ईद के रोज़ ईदगाह जाने का हुक्म दिया ताकि वो लोगो के तकबीरो के साथ तकबीरे कहें और उनकी दुआ के साथ दुआ करे लेकिन नमाज़ ना पढ़े।
[सही बुख़ारी : 324]

 

Shabe Qadr ki dua

  1. जिस रात लैलतुल क़द्र होगा उस के अगले दिन सूरज बिना किरण (rays) के निकलेगा।
    [सही मुस्लिम : 2633]
  2. जिस रात लैलतुल क़द्र होगा उस रात को चांद एक प्लेट के पीस की तरह निकलेगा।
    [सही मुस्लिम : 2635]
  3. लैलतुल क़द्र की रात को ना ज़्यादा गर्मी होगी और ना ज़्यादा ठंडी होगी लेकिन वो shakhawat की रात होगी और अगले सुबह सूरज कमज़ोर और लाल रंग का निकलेगा (rise)
    [तिब्रानी, इब्ने ख़ुज़ैमा]
  4. लैलतुल क़द्र वाले दिन को या रात को बारिश हो सकती है।
    [सही मुस्लिम : 2631]

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