Haj kya hai।Haj karne ka tarika in Hindi

Haj kya hai | haj karne ka tarika

शरीयत के खास तरीके के मुताबिक़ किसी खास वक्त में खास जगहों की ज़ियारत करने को हज कहते है। इसमें वो मुसलमान जिसको अल्लाह ने माल वा दौलत से नवाजा हो उसको चाहिए हो ज़िंदगी में 1 बार अल्लाह के घर यानी काबा शरीफ की जियारत के लिए सफ़र करे ।और फर्ज़ को अदा करे।आज के इस टॉपिक में Haj kya hai।Haj karne ka tarika in Hindi बारे में हम बात करेंगे | Haj फ़र्ज़ होने के शराइत क्या है। मिक़ात, Haj ke faraiz , Haj ke wajibaat और उनके में बात करेंगे जिन सब का haj में करना मना है। तो चलिए शुरू करते हैैं।

अल्लाह ने क़ुरान में इरशाद फरमाया :- अल्लाह के लिए माल दार के लिए अल्लाह के घर का हैं करना फर्ज है,अगर कोई इन्कार करेगा तो अल्लाह सारी दुनिया से बे नियाज़ है।

अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया:- जो कोई अल्लाह के लिए हज करें और हज के दौरान बुरे काम ना करें और गाली गलौज ना करें तो वह हज से उस तरह वापस होता है जिस तरह अभी पैदा हुआ हो।

Haj farz hone ke sharait

नीचे दी गई शर्ते पाई जाने पर हर मर्द और औरत पर ज़िंदगी में 1 बार हज फर्ज है।

(1) मुसलमान हो काफिर पर है फर्ज नहीं ।

(2) बालिग हो नाबालिग पर हज फर्ज नहीं।

(3) आक़िल हो यानी अक्ल वाला हो पागल पर हज फर्ज नहीं।

(4)आज़ाद हो गुलाम पर हज फर्ज नहीं।

(5) माल दार हो गरीब पर हज फर्ज नहीं

Note :– इतना सामान घर वालों के पास हों कि हज का सफर खत्म होने तक घर वाले का खाना खुराकी और सफर और सवारी का इंतिजाम वापिस आने तक हो।

इसी तरह हज फर्ज होने के शराइत पाए जाने के बाद हज करने के लिए शर्त का पाए जाना भी ज़रूरी है।

(1) बदन सही सालिम होना , बूढ़े और कमजोर को सफर के लायक नहीं है उनमें उतनी ताक़त नहीं को की वो सफ़र कर सके तो ऐसे लोगों पर हज फर्ज नहीं है।

(2) सफ़र हज में मौजूद रुकावट हो, कैदी हो इन सब पर हज फर्ज नहीं है ।

(3) रास्ते में अमन हो अगर रास्ते में दंगा या फसाद का दार हो तो हज फर्ज नहीं है।

(4) औरत iddat में ना हो,अगर औरत iddat में हो या शौहर के इंतिक़ाल की वजह से iddat में हो तो हज कि अदायगी फर्ज नहीं है।

Haj sahi hone ke sharait

नीचे दिए गए शराइत पूरा होने पर ही हज अदा होगा।

(1) इहराम होना बिना इहराम के हज नहीं है।

इहराम यह है कि मीकात में तलबिया

لَبَّيْكَ ٱللَّٰهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، إِنَّ ٱلْحَمْدَ وَٱلنِّعْمَةَ لَكَ وَٱلْمُلْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ

लब्बाईक अल्लाहम्मा लब्बाईक लब्बाईक ला शारिका लका लब्बाईक इनल हम्दा वन्ना मता लका वल मुल्क ला शरीका लक

पढ़ते हुए हज की नियत करें और मर्द सिले हुए कपड़े उतार कर बाहर सिले हुए कपड़े पहने लूंगी और चादर होना मुस्तहब है ।

(2) हज का मौसम होना, शव्वाल जी कायदा और जिलहिज्जा के शुरू के 10 दिन हज का जमाना है अगर कोई इससे पहले तवाफ या सयी करें तो अदा नहीं होगा हज के महीनों से पहले इहराम बांधना सही है लेकिन मकरू है।

(3) कुछ खास इलाकों में हज अदा करना, अरफात का मैदान रुकने के लिए, मीना की वादी ठहरने के लिए मुजदलफा में रात गुजारने के लिए, और मस्जिदे हराम तवाफ जियारत के लिए है।

Mikaat kya hai

Mikaat वह जगह है जहां से मक्का में रुका हुआ शख्स के अलावा जब वह आज का इरादा करें इहराम के बगैर गुजरना जायज नहीं

Mikaat में एहराम बांधने की जगह इलाकों पर ऐतबार से अलग अलग है

यमन और हिंदुस्तान वालों की मीकात यलाम लम है।

मिस्र, सीरिया, और यूरोपियन कंट्री वालों की मिकात हज़फा है।

ईराक और eastern countries के लोगों के लिए मीकात zaat e ark है

मदीना वालों की मिकात Zul Hulefa है।

नज़द रियाध वालों की मीकात करण मनाजिल है।

इन में से किसी एक mikaat से हज के इरादे से गुज़रे तो ihraam बांधना वाजिब है, बिना ihraam के वहां से गुजरना जायज नहीं होगा।

मक्का वालों की mikaat मक्का ही है चाहे वो मक्का के रहने वाले हों चाहे जाकर बस गए हो।

Haj ke faraiz

Haj के फ़राएज 2 है।

1- 9वीं जिलहिज्जा के ज़वाल से कुर्बानी के दिन यानी 10 वीं जिलहिज्जा की फज्र की नमाज़ तक थोड़ी डर के लिए मैदान अराफात में ठहरना

2- अरफा में थोड़ी देर रुकने के बाद कबे का तवाफ करना ,इस को Tawaf e ziyarat या Tawaf e Afaza भी कहते है।

Haj ke wajibaat

Haj ke wajibaat 10 है।

(1) मीकात से ihraam बांधना

(2) मुजदल्फा में थोड़ी देर रुकना इसका वक्त 10 वीं जिलहिज्जा की फज्र के बाद से सूरज डूबने तक है।

(3) 10 वीं,11 वीं और 12 वीं जिलहिज्जा के बीच में Tawaf e ziyarat करना।

(4) सयी करना यानी सफा और मरवा की पहाड़ी के दरमियान 7 मर्तबा दौड़ना।

(5) मक्के में रहने वालों के अलावा लोगों का Tawaf e wada करना यानी रुखसती का Tawaf करना।

(6) हर Tawaf के बाद 2 रकात नमाज़ पढ़ना।

(7) कुर्बानी के दिनों में शैतान को कंकरी मारना।

(8) हरम में कुर्बानी के दौरान सर मुंडाना या बाल छोटे कराना।

(9) Tawaf और सयी के दौरान छोटी बड़ी नापकी से पाक रहना।

(10) मना की गई चीजों से बचना। जैसे गाली गलौज,लड़ाई, सिले हुए कपड़े पहनना, सर और चेहरा ढकना ये सारी चीज़ें हज में मना है इन सब से बचना वाजिब है।

Jin Cheezon Ka Haj Me Karna Mana Hai

Ihraam बांधे हुए आदमिंके लिए इन चीज़ों का करना जायज नहीं है।इनसे बचना जरूरी है वरना हज खराब हो जाएगा।

(1) बीवी से सोहबत करना

(2) ख़ुशबू लगाना

(3) नाखून काटना

(4) मर्दों के लिए सिले हुए कपड़े पहनना जैसे कमीज़,या पैजामा,कुर्ता और मोजा और बहुत सी सिली हुई चीज पहनना

(5) सर, दाढ़ी या नाद के नीचे के बाल साफ़ करना

(6) सर या बदन में तेल लगाना

(7) हरम का कोई पेड़ काटना या घास उखाड़ना

(8) जंगली जानवरों का शिकार करना चाहे उसका गोश्त खाना जायज हो या ना हो।

इन सब चीजों का हज में करना मना है इसका बहुत ही ध्यान देना चाहिए आम तौर पर इन सब का ध्यान लोग नहीं रख पाते ।

अल्लाह हम सबको हज करने की तौफीक अता फरमाए आमीन

Conclusion

तो आज Haj kya hai।Haj karne ka tarika in Hindi टॉपिक में हमने हज के बारे में जाना इसके बारे में जाना है Haj ke faraiz क्या है उसके बारे में जाना हज में किन-किन चीजों का करना मना है उसके बारे में जाना Haj Ke Wajibaat क्या है उसके बारे में जाना हज सही होने के शराइत यानी Haj ke Sharait, उसके बारे में जाना Mikaat के बारे में जाना।

अगर आपको इस पोस्ट से कुछ नॉलेज मिली हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें अपने दोस्तों के साथ ताकि दीन की मालूमात उन लोगों तक भी पहुंच सके।

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