Sheikh Abdul Qadir Jilani (Rahmatullahi Alaih) ( Short Biography)

Sheikh Abdul Qadir Jilani Rahmatullahi Alaih

दोस्तो आज के इस टॉपिक में हम Sheikh Abdul Qadir Jilani Rahmatullahi Alaih( Short Biography) में मुख्तसर हालाते जिंदगी के बारे में तफसील से जानेंगे।

Sheikh Abdul Qadir Jilani Rahmatullahi Alaih Naam o Nasab

Sheikh Abdul Qadir Jilani Rahmatullahi Alaih का

नाम :-अब्दुल कादिर

पूरा नाम -अल-सय्यद मोहियुद्दीन अबू मुहम्मद अब्दुल क़ादिर अल-जीलानी अल-हसनी वल-हुसैनी

पैदाइश :- 11 rabi us saani 470 हिजरी  या मार्च 17 ,1078

पैदाइश की जगह :- गीलान्, तबरेस्तान, पर्शिया

लक़ब:– मोहिउद्दीन

कुन्नियत:– अबू मोहम्मद

उर्फफियत :- गौसे आजम

मां का नाम :- उम्मुल खैर फ़ातिमा

वालिद का नाम:- अबू सालेह मूसा अल-हसनी

मसलक :- हम्बली

वफात :– 8 रबी अल-अव्वल्561 हिजरी
 जनवरी 12, 1166ई 

मज़ार शरीफ :- बग़दाद, इराक़

बीवियां :– आपकी 4 बीवियां थी

•मदीना
• सादिक़ा
• मू’मिना
• महबूबा

लड़कों के नाम

• सैफ़ुद्दीन
• शरफ़ुद्दीन
• अबू बक्र
• सिराजुद्दीन
• यह्या
• मूसा
• मुहम्मद
• इब्राहीम
• अब्दुल्ला
• अब्दुल वहाब
• अबू नासिर मूसा

लकब: शेख़

Other Titles शेख़
(“नेता”)
• अब्द अल क़ादिर्
• अल-जीलानी
(“जीलान से सम्बंधित”)
• मुहियुद्दीन
(“धर्म की पुनस्थापना करने वाले”)
 अल-ग़ौस अल-आज़म्
• (“मदद करने वाले”)
• सुलतान अल-औलिया
(“संतों के सुल्तान”)
• अल-हसनी अल-हुसैनी
(“इमाम हसन और इमाम हुसैन दोनों के वारिस)

Taleem o Tarbiyat

10 बरस की उम्र में आप अपने शहर के मदरसे में पढ़ने जाया करते थे आप फरमाते हैं जब मैं मदरसे को जाता तो रास्ते में फरिश्ते मेरे पीछे आते दिखाई देते और जब मैं मदरसे से मैं पहुंच जाता तो उन्हें बार-बार यह कहते हुए सुना था अल्लाह के वली को बैठने के लिए जगह दो।

हज़रत शेख जीलानी ने अपने शुरआत कि ज़िन्दगी को अपने शहर जीलान में बिताया। 1095 में, अठारह साल की उम्र में, वह बगदाद गए। वहां, उन्होंने अबू सईद मुबारक मखज़ुमी और इब्न अकिल के जरिए हनबाली कानून को सीखा।

अल्लामा अबू जकरिया यहया बिन अली तबरेजी रह0,इल्म अदब के बहुत बड़े आलिम माने जाते थे बगदाद के मदरसे निजामिया में तालीम o तरबियत के principal थे उन्होंने बहुत सी किताबें भी लिखी हुई है हजरत गौसे आजम रहमतुल्ला ने इल्मे अदब इन्हीं से हासिल किया।

तालीम हासिल करने के दौरान उनको बहुत तरह-तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ा मगर सब्रो शुक्र के साथ अपना काम करने लगे वाल्दा ने जो दीनार दिए थे वह ख़त्म हो गए तो फक्रों फाका तक नौबत आ पहुंची आप खुद फरमाते हैं कि मैं बगदाद गया तो 20 दिन तक खाने पीने को कुछ ना मिला

आपने तफसीर का इल्म, हदीस का इल्म, फिकाह का इल्म लुगत का इल्म, कलाम करने का इल्म,अदब का इल्म मुनाज़रे का इल्म, तारीख का इल्म, फरासत का इल्म, और बहुत से इल्म और कमाल हासिल किया।

Bait

आपने हजरत शेख मुबारक रहमतुल्ला अलैह से Bait की और उनके ग्रुप में शामिल हो गया शेख़ ने अपने हाथ से खाना खिलाया हजरत ए गौसे आजम रहमतुल्ला अलेह फरमाते हैं कि शेख़ के हाथ से जो निवाला मेरे पेट में जाता वह मेरे अंदर एक नूर भर देता शेख रहमतुल्ला ने विलायत अता करते वक्त फरमाया अब्दुल कादिर यह वही विलायत है जो आप सल्ला वाले वसल्लम ने हजरत अली को दिया था इनसे हजरत हसन बसरी रहमतुल्ला को मिला फिर उनसे मुझ तक पहुंचा।

Dars o Tadrees

हजरत शेख रहमतुल्लाह अलेह का मकसद सिर्फ यह था कि भटके हुए लोगों को सीधी राह दिखाएं गुनहगारों को गुनाह से निकालकर हिदायत की रोशन मंजिल तक पहुंचाएं, बीमारियों का इलाज करें, और मुर्दा दिलों की जिंदगियों में नूर भर दे, चुनांचे बगदाद में रहकर पढ़ाने के काम में लग गए आपकी मजलिस में बहुत से लोग आने लगे मदरसे की जगह कम पड़ गई लेकिन जगह की तंगी की वजह से लोग बाहर सड़क पर खड़े होकर आपके कलाम को लिया करते 528 हिजरी में यह मदरसा एक आलीशान इमारत में बनकर तैयार हुआ बगदाद के अलावा दूर दराज से भी लोग शरीयत हो तरीक़त को सीखने के लिए आया करते थे और फायदा उठाने के बाद अपने शहरों में वापस चले जाते आपकी मजलिस में 70000 से ज्यादा लोग शामिल हुआ करते थे जिन्हें बड़े-बड़े उल्मा, मशाईख भी शामिल थे आप की तकरीर हिदायत का खज़ाना होता था क्या अमीर, क्या फकीर,क्या आम, क्या खास सब आदमी उन कि तकरीर सुनकर बेताब हो जाते थे।

Kitabein

आपकी किताबों में गुनिया तुत तालिबीन बहुत ही मशहूर हुई इनके अलावा और भी चंद किताबें हैं

आपकी एक और किताब का नाम फतेह रब्बानी है जो आप के पूरे 2 साल के इरशाद और तकरीर के आधार पर मौजूद हैं आपके 83 तकरीर इस किताब में अल्फ़ाज़ वही है जो तकरीर करते वक्त हजरत शेख के जेहन मुबारक से निकले इसलिए इस किताब के पढ़ने से वही मज़ा हासिल होता है जो सामने वाले सुनते हुए हासिल कर रहे थे।

Fatawe

आप हजरत इमाम शाफ़ई रहमतुल्ला अलेह और हजरत इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्ला के मजहब पर फतवा दिया करते थे और इराक के अंदर फतवा में बहुत माहिर थे, 40 साल तक आपने लोगों में तकरीर करके दिन फैलाया और 37 साल तक पढ़ने और पढ़ाने के काम और फतवे के काम में मशगूल रहे।

Shadi

आपने चार शादियां कि आपकी चारों बीवियां आपकी रूहानी इल्म और कमाल से फ़ैज़ हासिल कर चुकी थी चुनांचे आपके साहबजादे शेख अब्दुल जब्बार रहमतुल्ला ले अपनी वाल्दा के बारे में फरमाते हैं कि जब मेरी वाल्दा किसी अंधेरे मकान में जाती तो उसमें बिजली की तरह रोशन दिखाई देती।

Wafat

आपकी वफात 8 रबी अल-अव्वल्561 हिजरी
 जनवरी 12, 1166ई को बग़दाद में हुई आपका मजार शरीफ़ आज भी बग़दाद में मौजूद है।

दोस्तों आज की इस टॉपिक Sheikh Abdul Qadir Jilani (Rahmatullahi Alaih) ( Short Biography) में हमने हजरत शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्ला की शार्ट बायोग्राफी उनकी जीवनी के बारे में बात किया उनकी सीरत के बारे में बात किया दोस्तों कैसा लगा आप कोई टॉपिक कमेंट करके जरूर बताइए और और पसंद आया तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

Jazakallah hu khair

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