Dua Mangne Ka Tarika

Dua Mangne Ka Tarika

आज इस पोस्ट में हम बात करेंगे की दुआ किस तरह मांगना चाहिए Dua Mangne Ka Tarika दुआ मांगने का तरीका क्या है बहुत से लोग दुआ मांगते हैं बस दुआ मांग कर चले जाते हैं उनकी दुआ कबूल हो या ना हो उनके दिल में ऐसी कोई बात नहीं होती
Dua Kaise Qabool Hoti Hai तो ऐसी दुआओं का कोई फायदा नहीं है अल्लाह के नजदीक दुआ असर नहीं रखती।इस पोस्ट में Allah Se Mangne ka Tarika के बारे में बात करेंगे दुआ मांगने के कौन-कौन से आदाब हैं और Dua Mangne Ki Ahmiyat Aur Fazilat Kya Hai  दुआ मांगने की फजीलत और अहमियत क्या है।

Dua Mangne Ka Tarika,(Hadees ki Roshni Me)

नबी अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया अल्लाह ताला के नजदीक कोई चीज दुआ से बढ़कर बुजुर्गों और बर्तर नहीं है।

यानी की दुआ अल्लाह के नजदीक बहुत ही बुजुर्ग मकाम रखती है जो शख्स दुआ करते हैं अल्लाह ताला उससे बहुत खुश होते हैं एक हदीस में आता है कि जो अल्लाह से नहीं मांगता अल्लाह उस पर नाराज हो जाते हैं हमको दुआ करते रहना चाहिए।और अपने अल्लाह से अपनी दुआओं के अपने गुनाहों की मगफिरत करवानी चाहिए दुआ मांगने से अल्लाह भी खुश होता और हमारे गुनाह भी धुल जाते हैं।

एक दूसरी हदीस में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स अल्लाह ताला से सवाल नहीं करता अल्लाह ताला उस पर गुस्सा हो जाते हैं।

दुआ हर चीज से बढ़कर है और हदीस में यह भी आया है कि दुआ इबादत का मग़ज़ है यानी छिलके के अंदर जो असल चीज होती है उसको मगज़ कहते हैं बादाम को अगर फोड़ कर उसमें से अंदर की जो गिरी होती है उस गिरी की कीमत होती है उसी के हिसाब से बदाम खरीदे जाते हैं

इसी तरह इबादत बहुत सारी है और दुआ भी एक इबादत है लेकिन दुआ बहुत बड़ी इबादत है इबादत ही नहीं असल मकसद है और असल इबादत है क्योंकि इबादत की हकीकत यह है कि अल्लाह ताला ने नबी अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम को यह बात सिखलाई की दुआ करते वक्त बंदा अपने आप को और अपनी बुराइयों और जिल्लत को अल्लाह के सामने पेश करता है और जाहिर और बतिन को अल्लाह के सामने अपने आप को झुकाता है। अपने आपको अल्लाह के सामने बिल्कुल कमजोर समझना अपने आप को बिल्कुल छोटा समझना और अपने आप को बिल्कुल रुसवाई से भरा समझने की जो सिफत है यह सबसे ज्यादा दुआ में पाई जाती है क्योंकि जो बंदा दुआ करता है तो अपने आप को अल्लाह के सामने बिल्कुल कमतर समझता है अपने आपको बिल्कुल कमजोर समझता है और कोई इबादत ऐसी नहीं जिसमे आदमी इतना ज्यादा अपने आप को कमजोर समझ कर अल्लाह के सामने अपने गुनाहों की माफी मांगता है इसी वजह से दुआ को इबादत का मगज़ कहा गया है इबादत का main part कहा गया है।

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Dua Ke Adaab

अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जब तुम में से कोई शख्स दुआ करें तो यूं ना कहे कि अल्लाह तू जो चाहे तो बख्श दे बल्की मजबूती और कॉन्फिडेंस के साथ सवाल करें जो कुछ मांग रहा है पूरी तरह से मांगे क्योंकि अल्लाह ताला को किसी भी चीज को अता करना मुश्किल काम नहीं है।

यानी यह बात कहना कि अल्लाह ताला अगर तू चाहे तो मुझे माफ फरमा दे यह बिल्कुल बेजा बात है क्योंकि अल्लाह ताला जो कुछ देगा अपने इरादे से ही देगा इसके इरादे के बगैर कुछ नहीं हो सकता हर चीज का वजूद अल्लाह के इरादे से ही है वह जो चाहे करें उसको कोई मजबूर करने वाला नहीं है दुआ करने वालों को तो मजबूती से सवाल करना चाहिए कि अल्लाह मुझे जरूर दें मेरा मुकद्दर बना दे मेरा मकसद पूरा फरमा दे यह कहना चाहे तो दे दे इस बात को बताता है कि मांगने वाला अपने आपको वाकई मोहताज नहीं समझता अल्लाह से मांगने में भी बेनियाज़ी बरत रहा है जो को तकब्बुर है दुआ में अपने आपको अंदर और बाहर से अल्लाह के सामने हाजत मंदी और अपने आप की कमजोर जाहिर करने की जरूरत है।

नबी अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि तुम्हारा रब शर्म करने वाला है करीम है जब उसका बंदा दुआ करने के लिए हाथ उठाता है तो उसको खाली वापस करता हुआ शर्माता है।

अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम दुआ करते वक्त उस वक्त तक अपने हाथ को नीचे नहीं गिराते थे जब तक की दुआ मांगने के बाद अपने चेहरे पर अपने हाथों को फेर ना ले।

Dua Kis Tarah Maange

दुआ करने से पहले सबसे पहले बा-वजू हो जाना चाहिए।

पहले अल्लाह की हम्द ओ सना करना और अल्लाह के सिफ़ाती नाम का वसीला लगाना

फिर दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए नबी अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम पर दरूद भेजना चाहिए।

किबले की तरफ मुंह कर कर बैठ जाना चाहिए।

बिल्कुल सच्चे दिल के साथ अल्लाह की तरफ झुक जाना और यह यकीन दिल में रखना कि सिर्फ अल्लाह ताला ही दुआ कबूल कर सकता है।

पाक साफ रहना।

कोई नेक काम दुआ करने से पहले करना और 4 रकात नमाज पढ़कर दुआ करना

दुआ के लिए दोनों जांघो पर बैठना ।

दोनों हाथ उठा कर दुआ करना।

खुशु खूजू के साथ और अदब से दुआ करना

दुआ करते वक्त अपने आपको अल्लाह के सामने कमजोर जाहिर करना।

दुआ करते वक्त जिस्म से और जान से और लगन से जबान से अपने आप को मिसकीन जाहिर करना और आवाज में नरमी करना।

आसमान की तरफ नजर ना उठाना।

शायराना अंदाज़ से दुआ करने से बचना

अंबिया किराम और औलिया इज़ाम ,सालेहीन किराम के वासीले से दुआ करना।

गुनाहों का इकरार करना

खूब दिल लगाकर मजबूती के साथ जमकर इसी आप इनके साथ दुआ करना कि अल्लाह ताला हमारी दुआ को जरूर कबूल करेगा

दिल को हाजिर करके दिल की गहराइयों से दुआ करना

कम से कम किसी चीज का तीन बार अल्लाह से सवाल करना किसी चीज को अल्लाह से मांगते वक्त कम से कम 3 बार दोहराना।

और जब किसी के लिए दुआ करें तो पहले अपने लिए दुआ करें फिर दूसरों के लिए दुआ करें।

इस तरह की दुआ करें जिसमें अल्फाज कम हो लेकिन अल्फाज के माने ऐसे हो जो ज्यादा असरदार हो जिसमे दुनिया और आखिरत की बहुत सी भलाइयों का सवाल किया जाए।

कुरान और हदीस में जो दुआएं बताई गई हैं उन दुआओं को पढ़कर दुआएं मांगी जाए।

अपनी सारी जरूर याद अल्लाह के सामने रखें अगर नमक की भी जरूरत हो तो भी अल्लाह से मांगे।

अगर कोई इमाम है तो अपने ही लिए ही सिर्फ दुआ ना करें बल्कि मुकदमों को भी दुआ में शरीक करें।

दुआ को खत्म करने से पहले अल्लाह ताला की हम्द ओ सना बयान करें उसकी तारीफ बयान करें और रसूले अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम पर दरूद शरीफ भेजें और खत्म पर आमीन कहे

दुआ को खत्म कर कर अपने दोनों हाथ को चेहरे पर फिर ले

ये जो आदाब बताए गए हैं इसको जहां तक हो सके इसको पूरा करते हुए दुआएं मांगी जाए वैसे अल्लाह ताला सारी दुआओं को कुबूल फरमा लेता है लेकिन जहां तक हो सके रियायत करें यू अल्लाह की बड़ी शान है कि वह बगैर रियायत के है आपकी दुआ कुबूल फरमा सकता है।

दोस्तों आज किस टॉपिक में हमने Dua Mangne Ka Tarika दुआ मांगने का तरीका के बारे में जाना  दुआ मांगने से पहले हमें किस तरह अदब के साथ दुआ मांगना है किस चीज का ख्याल रखना है कैसी दुआ मांगनी है तो सब चीजों के बारे में इस पोस्ट में जाना अगर आपको इंफॉर्मेशन अच्छी लगी हो पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और आपके अगर कुछ सवाल आते हैं तो आप कमेंट बॉक्स में जरूर पूछ सकते हैं।

Jazakalla hu khair

3 thoughts on “Dua Mangne Ka Tarika”

  1. माशाल्लाह आपने दुआ पर बहुत बढ़िया जानकारी दी हैं जज़कल्लाह खैर अल्लाह आप सलाम रखे माशाअल्लाह

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