Kin Logon ki Dua Zyada Qubool hoti hai
दुआ हम सब करते है लेकिन लोगों की दुआ का अलग अलग पैमाना होता है किसी की दुआ जल्दी क़ुबूल होती है और किसी की दुआ डर से क़ुबूल होती है तो आज हम बात करेंगे कि Kin Logon ki Dua Zyada Qubool hoti hai इस टॉपिक पर हम अल्लाह के रसूल ने दुआ के बारे में क्या फरमाया है किं लोगों की दुआए ज़्यादा क़ुबूल होती है
आज के इस टॉपिक में हम जानेंगे कि Kin Logon ki Dua Zyada Qubool hoti hai वो खास लोग कौन है और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इन लोगों के बारे में क्या फरमाया है।
नबी अकरम सल्ला वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि तीन आदमी ऐसे हैं जिनकी दुआएं कभी टाली नहीं जाती जरूर कबूल की जाती है
नंबर 1 रोजेदार की दुआ जिस वक्त वह अफतार कर रहा हो
नंबर 2 इमामे आदिल यानी वह इमाम जो हुकूमत और सरकार में हो और वह शरीयत के मुताबिक चलता हूं सबके साथ इंसाफ कहता हो
नंबर 3 मजलूम की दुआ मजलूम की दुआ को अल्लाह ताला बादलों के ऊपर उठा लेते हैं और उसके लिए आसमान के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और परवरदिगार ए आलम का इरशाद होता है कि मैं जरूर से जरूर तेरी मदद करूंगा अगर कुछ वक्त गुजरने के बाद ही क्यों ना हो।
एक दूसरी हदीस में अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया 3 दुआएं कुबूल की जाती हैं और उनकी दुआ कबूल होने में कोई शक नहीं है
वालिद की दुआ औलाद के लिए,मुसाफिर की दुआ,मजलूम की दुआ
एक और हदीस में अल्लाह के रसूल ने इरशाद फरमाया 5 दुआएं जरूर कबूल हो जाती हैं
#1 मजलूम की दुआ जब तक बदला ना ले ले
#2 हज के सफर पर जाने वाले की दुआ जब तक घर वापस ना आ जाए
#3 अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले की दुआ जब तक लौट कर घर ना पहुंचे
#4 मरीज की दुआ जब तक अच्छा ना हो जाए
#5 एक मुसलमान भाई की दुआ दूसरे मुसलमान भाई के लिए उसके पीठ पीछे दुआ करना इन दुआओं में सबसे ज्यादा जल्दी क़ुबूल होने वाली वाली दुआ वह है जो एक मुसलमान भाई दूसरे मुसलमान भाई के लिए उसके पीठ पीछे दुआ करें।
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Roze-Daar ki Dua
अफतार के वक्त दुआ कबूल होती है यह वक्त लंबी भूख और प्यास के बाद खाने पीने के लिए होता है मोमिन बंदा अल्लाह ताला की एक फर्ज़ को पूरा कर देता है और उसकी खुशी के लिए भूख प्यास को बर्दाश्त करता है इसलिए इस बड़ी इबादत की खात्मे पर बंदे को यह इनाम दिया जाता है कि अगर वह उस वक्त दुआ करें तो जरूर क़ुबूल की जाएगी तबीयत की बेचैनी और खाने पीने के लिए अक्सर लोग उस वक्त दुआ करना भूल जाते हैं अगर इफ्तार से एक 2 मिनट पहले सच्चे दिल के साथ दुआ की जाए तो इंशाल्लाह जरूर कबूल ही होगी अपने लिए और दूसरों के लिए दुनिया और आखिरत की भलाई मांगी जाएंगे तो उस वक्त अल्लाह जरूर कुबूल करेगा।
Imam e Adil ki Dua
हदीस शरीफ में आया है कि इमाम यादव की दुआ कबूल होती है या नहीं वह इमाम वह पेश हुआ वह हुकूमत करने वाला जो आदर और इंसाफ के साथ शरीयत के मुताबिक लोगों को अपने साथ लेकर चले उसे इमाम याद दिल कहा जाता है इमाम या दिल की बड़ी फजीलत है और इस फजीलत की वजह यही है कि वह हुकूमत करते हुए भी जुल्म नहीं करता और गुनाहों से बचता है और अल्लाह पाक से डरता है एक हदीस मेरे साथ है कि कयामत के दिन जब अल्लाह के अर्श के साए के अलावा किसी का साया नहीं होगा और लोग धूप और गर्मी की वजह से सख्त परेशानी में होंगे उस वक्त अल्लाह ताला 7 आदमियों के उपन्यास के साए में जगा देंगे उन आदमियों में एक इमाम या दिल भी है यह माना दिल की फजीलत है वह जो दुआ करेगा बारगाह ए खुदा बंदे में उसकी दुआ कबूल कर जाएगी
Mazloom ki Dua
जिस शख्स पर जिस आदमी पर किसी तरह का कोई जुल्म किया जाए उसे मजलूम कहते हैं मजलूम भी इन लोगों में से हैं jin logon ki dua zyada qubool hoti hai , एक हदीस में नबी अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि मजलूम की बद्दुआ से बचो इसलिए कि उसकी दुआ जरूर कबूल होती है क्योंकि मजलूम अल्लाह ताला से अपना हक मांगता है और अल्लाह ताला किसी हक वाले से उसका हक नहीं रुकते।
एक हदीस में अल्लाह के रसूल ने चंद नसीहत ए फरमाई यानी मजलूम की बद्दुआ से बचो क्योंकि अल्लाह और उस मजलूम की बद्दुआ के दरमियान कोई पर्दा नहीं रहता यानी पर दाना होने का मतलब यह है कि उसकी दुआ जरूर कबूल होती है उसकी कबूलियत के लिए कोई रुकावट नहीं होती है
Walid ki Dua
Walid ki Dua भी अवलाद के हाथ में जरूर कबूल होती है यानी कोई किसी का बाप अगर के अपने बेटे को दुआ करें तो उसकी दुआ जरूर कबूल होती है इसी तरह वादा यानी मां की दुआ भी औलाद के हाथ में तेजी के साथ खूब रोती है वालदैन की दुआ हमेशा लेते रहना चाहिए उनकी बद्दुआ से हमेशा परहेज करें मोहब्बत और ममता की वजह से अक्सर मां-बाप बद्दुआ नहीं करते अगर से उन्हें अवलाद की जाने से तकलीफ भी पहुंचे लेकिन कई मर्तबा औलाद की तरफ से मां बाप का दिल ज्यादा दुख जाता है तो कभी-कभी मुंह से बद्दुआ निकल जाती है फिर यह बद्दुआ अपना असर करके छोड़ दी है जहां तक मुमकिन हो मां बाप को कभी नाराज ना करें और तकलीफ ना दे जान से और माल से उनकी khidmat करते रहें अगर किसी वजह से उनसे अलग भी रहने लगे तब भी उनके पास आते जाते रहो उनकी खैर खबर रखो।
Musafir ki Dua
मुसाफिर को भी उन लोगों में गिना गया है उनकी दुआ कबूल होती है और इस वजह से यह मुसाफिर घर बार से दूर होता है आराम से मिलने ना मिलने की वजह से मजबूर और परेशान होता है जो अपनी मजबूरी और हाजत मंदी की वजह से दुआ करता है तो उसकी इखलास भरी दुआ जरूर कबूल होती है।क्योंकि यह आमतौर पर मुसाफिर बेबसी और बेकसी की हालत में होता है इसलिए उसकी दुआ सिर्फ दिल से होती है और जरूर कबूल होती है।
Haj,Umrah karne jane wale ki Dua
वह आदमी Haj के लिए रवाना हुआ या उमरा के सफर में निकला हो तो उसके दुआ कबूल होने का वादा भी हदीस शरीफ में आया है अल्लाह के रसूल सल्ला वसल्लम का इरशाद है हज उमरा के मुसाफिर अल्लाह के खुसूसी मेहमान है अगर अल्लाह से दुआ करेंगे तो अल्लाह ताला जरूर कुबूल फरमाए गा और अगर उससे नफरत तलब करें तो उनकी बक्शीश वर्मा देगा एक जगह अल्लाह के रसूल ने फरमाया जब तू ऐसे शख्स से मुलाकात करो जो हज के लिए गया हो तो उसे सलाम करो उस से मुसाफा करो और उससे दरखास्त करो वह अपने घर में दाखिल होने से पहले तेरे लिए अस्तगफार करें क्योंकि वह बख्शा बसाया है
Mareez ki Dua
मरीज भी उन लोगों में से हैं jin logon ki dua zyada qubool hoti hai ,अल्लाह ताला से सवाल तो हमेशा आफियत का ही करना चाहिए लेकिन अगर बीमारी आ जाए तो उसको भी सबरो शुक्र के साथ बर्दाश्त करें जब मोमिन बंदा बीमार होता है तो सबसे पहले तो बीमारी की वजह से उसके गुनाह माफ होते हैं और उसके दर जात बुलंद होते हैं दूसरी तंदुरुस्ती में जो इबादत करता था उन सब का सवाब इसके लिए लिखा जाता है तीसरे यह कि उसकी दुआ हैसियत बहुत बढ़ जाती है और जरूर कबूल होती है एक हदीस में है कि अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया जब तुम मरीज के पास जाओ तो उससे दुआ के लिए कहो क्योंकि Mareez ki Dua फरिश्तों की दुआ की तरह है
मरीज अपनी तकलीफ में और कुछ नहीं कर सकता तो अल्लाह के सिकरी में तो मशहूर रही सकता है और अपने लिए और अपने खानदान और अपने दोस्तों अब आपके लिए खूब दुआएं कर सकता है मोमिन की बीमारी भी नेमत है मगर कोई अपनी हैसियत तो पहचाने और नेमत को नियमित तो जाने कुरान और हदीस का इल्म ना होने की वजह से मुसलमान को ईमान की कीमत मालूम है और ना मोमिन की हैसियत का पता है अल्लाह ताला हमें इल्म दे और समझ अता फरमाए
Musalmaan bhai ke liye peeth peeche dua karna
अपने लिए तो दुआ करते ही रहते हैं इसके साथ अपने मुसलमान भाइयों के लिए भी खुश उसी दुआ करनी चाहिए मुसलमानों के लिए आम तरीका तरीका पर भी दुआ करें और अपने वालदैन और दूर और करीब के रिश्तेदार बहन भाई चाचा मामू खाना वगैरा और मिलने जुलने वालों पास के उठने बैठने वालों और अपने दोस्तों और उस्तादों को खासतौर पर दुआ में याद रखना चाहिए दुआ के लिए कोई कहे या ना कहे दुआ करते रहे इसमें अपना भी फायदा है और जिसके लिए दुआ की जाए उसका भी फायदा है
एक हदीस में इरशाद है कि पीठ पीछे मुसलमान भाई की दुआ कबूल होती है उसके सर के पास एक फरिश्ता मुकर्रर होता है जब वह अपने भाई के लिए दुआ करता है तो फरिश्ता आमीन कहता है और यह भी कहता है कि भाई के हक में जो तूने दुआ की है तेरे लिए भी इसी तरह की नेमत और दौलत की खुशखबरी है।
Conclusion
दोस्तों अगर आपको इस टॉपिक Kin Logon ki Dua Zyada Qubool hoti hai के बारे में कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और आपको अगर यह पोस्ट इंफॉर्मेशन पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें
Jazakallah hu khair
Sadka kherat sub karta hoo lekin duwa kabol nahi hoti kuch hal batae
Istigfaar zyada se zyada karein inshaallah aapki har dua qubool hogi