Islam me Aurat ka Maqam

Islam me Aurat ka Maqam

इस्लाम ने औरत के वकार, इज्ज़त और इंसानी समाज में औरत को अच्छा और मुनासिब मक़ाम दिलाने का और ज़ुल्म के कानून और गलत रस्म ओ रिवाज से निजात दिलाने के सिलसिले में एक ख़ास किरदार आदा किया है। Islam me Aurat ka Maqam और मर्तबा के बारे में जहां क़ुरआन की आयत अमाल की कुबूलियत,निजात और खुशखबरी, आखिरत की कामयाबी के बारे ने नाजिल हुई वहां मर्दों के साथ साथ औरतों का भी ज़िक्र अल्लाह ने किया है।

Quran Me Auraton ka zikr

क़ुरान मजीद में अल्लाह का इरशाद है

     ﴿١٢٤﴾  وَمَن يَعْمَلْ مِنَ الصَّالِحَاتَ مِن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَى وَهُوَ مُؤْمِنٌ فَأُوْلَئِكَ يَدْخُلُونَ الْجَنَّةَ وَلاَ يُظْلَمُونَ نَقِيرًا

जो कोई नेकियों पर अमल करेगा चाहे वो मर्द हो या औरत और वो साहिबे ईमान हो तो ऐसे सब लोग जन्नत में दाखिल होंगे और उन पर ज़र्रा बराबर भी जुल्म नहीं होगा। (surah Nisa 124)

अल्लाह ताला मर्द हो या औरत हो दोनों को सिर्फ नेक अमल के बदले ही जन्नत में दाखिल करेगा।

दूसरी जगह अल्लाह का इरशाद है-

فَاسْتَجَابَ لَهُمْ رَبُّهُمْ أَنِّي لاَ أُضِيعُ عَمَلَ عَامِلٍ مِّنكُم مِّن ذَكَرٍ أَوْ أُنثَى بَعْضُكُم مِّن بَعْضٍ فَالَّذِينَ هَاجَرُواْ وَأُخْرِجُواْ مِن دِيَارِهِمْ وَأُوذُواْ فِي سَبِيلِي وَقَاتَلُواْ

وَقُتِلُواْ لأُكَفِّرَنَّ عَنْهُمْ سَيِّئَاتِهِمْ وَلأُدْخِلَنَّهُمْ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الأَنْهَارُ ثَوَابًا مِّن عِندِ اللّهِ وَاللّهُ عِندَهُ حُسْنُ الثَّوَابِ

सिवा उनकी दुआ को अल्लाह ने क़ुबूल कर लिया इसलिए की मैं तुम में किसी अमल करने वाले के चाहे वो मर्द हो या औरत किसी के अमल को बेकार नहीं होने देता,तुम आपस ने एक दूसरे के हिस्से हो।(Surah Al Imran-195)

इसी तरह अच्छे काम नेक अमल और दीन के खास टॉपिक पर बात करते वक्त कुरान मजीद मर्दों के साथ साथ औरतों का भी ज़िक्र करता है।

अल्लाह की हिक्मत ये है कि उन अच्छी सिफात और नेक अमल में ताकत और सलाहियत रखने वाले मर्दों पर औरतों को कयास करने पर इंसान का दिमाग तैयार नहीं होता, जिन्होंने गैर इस्लामी अदब के साए में तरबियत पाई है ऐसे लोगों ने हमेशा बहुत से fazail में औरतों को मर्दों से अलग रखा। आप मेरे साथ कुरान कि ये आयत की तिलावत करे।

اِنَّ الۡمُسۡلِمِيۡنَ وَالۡمُسۡلِمٰتِ وَالۡمُؤۡمِنِيۡنَ وَالۡمُؤۡمِنٰتِ وَالۡقٰنِتِيۡنَ وَالۡقٰنِتٰتِ وَالصّٰدِقِيۡنَ وَالصّٰدِقٰتِ وَالصّٰبِرِيۡنَ وَالصّٰبِرٰتِ وَالۡخٰشِعِيۡنَ وَالۡخٰشِعٰتِ وَالۡمُتَصَدِّقِيۡنَ وَ

الۡمُتَصَدِّقٰتِ وَالصَّآئِمِيۡنَ وَالصّٰٓـئِمٰتِ وَالۡحٰفِظِيۡنَ فُرُوۡجَهُمۡ وَالۡحٰـفِظٰتِ وَالذّٰكِرِيۡنَ اللّٰهَ كَثِيۡرًا وَّ الذّٰكِرٰتِ ۙ اَعَدَّ اللّٰهُ لَهُمۡ مَّغۡفِرَةً وَّاَجۡرًا عَظِيۡمًا‏ ﴿33:35﴾ وَمَا كَانَ

لِمُؤۡمِنٍ وَّلَا مُؤۡمِنَةٍ اِذَا قَضَى اللّٰهُ وَرَسُوۡلُهٗۤ اَمۡرًا اَنۡ يَّكُوۡنَ لَهُمُ الۡخِيَرَةُ مِنۡ اَمۡرِهِمۡ ؕ وَمَنۡ يَّعۡصِ اللّٰهَ وَرَسُوۡلَهٗ فَقَدۡ ضَلَّ ضَلٰلًا مُّبِيۡنًا‏ ﴿ 33:36

बेशक इस्लाम वाले और इस्लाम वालियां,और इमान वाले और इमान वालियां,और फरमा बरदार मर्द और फर्मा बरदार औरतें,सच्चे मर्द और सच्चे औरतें,और साबिर मर्द और साबिर औरतें,और खुशु वाले और खुशु वालियां,तस्दीक करने वाले और तस्दीक करने वलियां,रोजा रखने वाले और रोजा रखने वालियां,अपनी शरमगाहों की हिफाज़त करने वाले और हिफाज़त करने वालियां,अल्लाह को ज़्यादा याद करने वाले और याद करने वालियां, इन सब के लिए अल्लाह ने मगफिरत और बड़ा अजर तैयार कर रखा है। (Surah Ahzaab-35)

एक दूसरी जगह इरशाद है

 ﴿١٣﴾   يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّا خَلَقْنَاكُم مِّن ذَكَرٍ وَأُنثَى وَجَعَلْنَاكُمْ شُعُوبًا وَقَبَائِلَ لِتَعَارَفُوا إِنَّ أَكْرَمَكُمْ عِندَ اللَّهِ أَتْقَاكُمْ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ

ऐ लोगों! हमने तुम सब को एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और तुम्हारे लिए अलग अलग कौम,और खानदानों को बना दिया,ताकि एक दूसरे को पहचान सको,बेशक तुम में से परहेजगार ही अल्लाह के नज़दीक़ बुलंद मकाम रखता है बेशक अल्लाह ताला खूब जानने वाला और खबरदार है।(surah Al Hujraat-13)

ये सब बातें औरतों में हिम्मत और आत्म निर्भर बनाती है और इन्हें अपने आप को कम समझने वाली सोच से दूर रखती है इन तालीम की वजह से अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम के बाद आज तक इस्लाम कि औरतें अच्छी तरबियत करने वाली ,जिहाद और तीमार दारी करने वाली,अदीब,मुसन्निफ ,हाफिज ए कुरान,हदीस की रावी,नमाजी और तहज्जुद गुज़ार औरतों की एक बड़ी तादाद नजर आती है

इस मज़हब ए Islam me Aurat ka Maqam ये है कि मिल्कियत और वारासत का हक़,खरीदने बेचने का हक,शौहर से अलग होने जा हक (खुला) अगर जरूरी हो) , मंगनी खत्म करने का हक (अगर राजी ना हो) , जुमा ईदैन,और जमात के साथ नमाज़ पढ़ने का हक़ और उनके अलावा औरतों के मकाम और मर्तबा और उनके हुकूक बहुत है जिनको अपना कर औरतों अपने आप में फख्र महसूस करती है।

Conclusion

आज के इस टॉपिक Islam me Aurat ka Maqam में हमने क़ुरआन मजीद की आयतों के जरिए ये जाना की मज़हब ए इस्लाम में औरतों का क्या मकाम और मर्तबा है ।जहां जहां अल्लाह ने मर्दों का ज़िक्र किया वहीं साथ ने औरतों का भी जिक्र किया है और उसके अलावा बहुत से हुकूक जो को खास औरतों को दिए गए है उनके बारे में में भी जाना।

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Jazakallah hu khair

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