Maa Baap Ka Humari Zindagi Per Ihsaan। Role of parents in our life

Maan Baap Ka Ihsaan Humari Zindagi Per

आज के इस टॉपिक Maa Baap Ka Humari Zindagi Per Ihsaan। Role of parents in our life  में हम पूरी detail से बात करेंगे कि मां बाप का हमारी ज़िंदगी पर क्या ihsaan हैं। जब हम सब दुनिया में आए ही नहीं थे तब से लेकर अब तक मा बाप ने हम पर क्या इहसानात किए।और इस्लाम में माप बाप को क्या दर्जा दिया गया है। मा बाप के बारे में इस्लाम ने क्या बताया है।

Maan Baap ka Ihsaan Rab ka Tohfa hain

मां का बे पनाह प्यारा और ममता का लाडला दुनिया में अरबों रुपए की दौलत से भी खरीदा नहीं का सकता,अल्लाह ने दुनिया में हर चीज का बदल रखा हुआ है लेकिन मा बाप जैसी अनमोल चीज का बदल नहीं हैं। मा बाप का बूढ़ा शरीर भी लाखो लोगों के दिल का सुकून होता है।उन के प्यारे अल्फ़ाज़ सालो से चले आ रहे टेंशन को ख़त्म कर देते हैं। उन की मुहब्बत भरी एक मुस्कुराहट मुद्दातों की दिमागी उलझनों को खत्म कर देती है।

यही हाल कुछ वालिद यानी बाप का भी होता है। चलिए मान लेते हैं कि बाप और बेटा दोनों भूख से परेशान हो और खाने के लिए सिर्फ एक रोटी का टुकड़ा हो। बाप वो रोटी का टुकड़ा खुद ना खा कर अपने बच्चे को खिलाएगा जिससे कि उसकी भूख मिट जाए। और खुद को भूका रख लेता है।यही वजह है दुनिया में मां बाप के जैसे कोई नहीं होता।

Humari Zindagi Me Maan Ka Ihsaan

आपको पता है! किसी भी औरत के लिए जब वो बच्चें को जन्म दे रही होती है उस वक़्त उठने वाले दर्द कि गिनती मरने के वक्त ही होता। यानी उस वक़्त की तकलीफ और दर्द दुनिया के किसी भी दर्द का मुकाबला नहीं कर सकता लेकिन एक मां अपने बच्चे को दुनिया में लाने के लिए उस दर्द से भी गुजर जाती है। हम में से हर एक कि मां ने इस मौत कि तरह उठने वाले दर्द का सामना किया है।सिर्फ और सिर्फ हमारे लिए इस दर्द का मुकाबला किया।

Humari Zindagi Me walid(Baap) Ka Ihsaan

एक बाप ने हमारी सारी खुशी पूरी करने के लिए हमारी ज़रूरियात पूरी करने के लिए दुनिया में ना जाने कौन कौन से हालात का सामना किया,लेकिन आज हमने उनके बदले में उन्हें क्या दिया ये एक अहम सवाल है? क्या हमने इन का नाम लेकर अल्लाह के सामने इन के हक में सवाल किया? क्या हमने कभी अपने मां बाप के बारे में अल्लाह से बख़्शिश मांगी,क्या उनकी मगफिरत के लिए अल्लाह के सामने हाथ फैलाए, सारी ज़िन्दगी अगर हम उनकी खिदमत करो फिर भी हम उनके एक छोटे से एहसान के बराबरी नहीं कर सकते।

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Maan Baap ke Baare Me Quran Ka Farmaan

मां बाप के बारे में कुरान ने को हुक्म दिया है वो ये है कि मां बाप से बुढ़ापे को हालत में होने वाली गलतियों पर भी उफ़ तक भी ना कहो उफ़ कहने से भी माना किया है।जब तक मां बाप जिंदा हैं उन की खिदमत करता रहे और जब इंतेकाल होंजाए तो उनके लिए मगफिरत की दुआ करता रहे। इस तरह अल्लाह ने फगफिरत मांगने का तरीका भी बताया है

Maan Baap ke Liye Quran Me dua

“Rabbir hum huma kama rabbayani sageera”

ऐ मेरे रब! जिस तरह इन दोनों ने मेरे बचपन में मेरी तरबियत की है इसी तरह तू इं पर रहम फरमा”

ये एक ऐसी असरदार दुआ है जो मां बाप के हक में जिंदगी में भी कि जाए और मरने के बाद भी की जाए।

Conclusion

अगर अब तक हम अपने मां बाप के लिए दुआ नहीं कर सके तो आइए आज से हम इस दुआ को अपनी हर नमाज में मांगने का मामूल बना ले।अगर मां बाप ज़िंदा हैं तो उनके ईमान पर खात्मा और लंबी उम्र की दुआ करे और अगर वफात पा चुके हैं तो उनके लिए मगफिरत की दुआ मांगे। अल्लाह हम सबको अमल करने की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन

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Jazakallah hu khair

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