Miswak ki fazilat in hindi
वज़ू की एक सुन्नत मिस्वाक है मगर आम तौर पर miswak को करना और इस अमल को इसका करना जरूरी नहीं समझा जाता जबकि इसके मुताबिक बहुत सी हदीसे हैं जो मिस्वाक की फजीलत बयान करती हैं हदीस में आता है कि जो नमाज़ मिसवाक करके पढ़ी जाती है वह उस नमाज से 70 गुना बेहतर है जो बगैर मिस्वाक़ के पढ़ी जाए।तो आज हम Miswak ki fazilat in hindi के बारे में बात करेंगे .
Miswak ki fazilat hadees ki roshni me
बुखारी शरीफ मुस्लिम शरीफ में हजरत अबू हुरैरा रजत बहुत ऑनलाइन हो से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया
कि मुझे अपनी उम्मत के लोगों के मुश्किल में पड़ जाने का अंदेशा ना होता तो मैं यकीनन उन्हें हर नमाज के साथ में मिस्वाक़ करने का हुक्म देता।
इस हदीस से यह साबित हो जाता है कि हुजूर पाक सल्लल्लाहु वाले वसल्लम हर नमाज में miswak को पसंद फरमाते थे।मगर अपनी उम्मत को मशककतों से बचाने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनको वाजिब नहीं फरमाया।यह अपनी उम्मत से आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की मोहब्बत का एक खुला हुआ सबूत है।
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उम्मते मोहम्मदिया का फर्ज यह है कि मिस्वाक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल वह अपना मामूल बना ले और नमाज से पहले इसका एहतमाम करें।
सो कर उठने के बाद मिस्वाक करना ज्यादा फायदेमंद और सेहत के लिए बहुत ही पूर असर है और फायदेमंद है।
आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम नींद से जागने के बाद मिस्वाक जरूर फरमाते थे बुखारी वह मुस्लिम में हजरत हुजैफा रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो वाले वसल्लम जब नींद से जागते तो सबसे पहले अपना मुंह मुबारक मिस्वाक से खूब साफ करते हैं।
हज़रत आयशा रजि अल्लाह ताला अनहुमा बयान करती है कि हम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु वाले वसल्लम के लिए मिस्वाक और वज़ू का पानी तैयार कर देते थे, जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु वाले वसल्लम को जागना चाहते थे, जागते फिर उसके बाद मिस्वाक और वजू करते और उसके बाद फिर नमाज पढ़ते थे।
हजरत शरीफ बिनानी बयान करते हैं कि मैंने हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला अनु मां से पूछा कि जब हुजूर आप 10 सल्लल्लाहो वाले वसल्लम घर तशरीफ लाते थे तो सबसे पहले क्या काम करते थे?
हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला अनु मैंने जवाब दिया आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम घर जब तशरीफ लाते थे तो सबसे पहले miswak करते थे।
हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला अनु मासी जी अभी रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया कि मिस्वाक मुंह की पाकीज़गी और रब की रजा का जरिया है यानी कि miswak कर के बंदा अल्लाह की राजा हासिल कर सकता है।
हजरत अनस रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है की खूबसूरत 10 सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया कि मैंने तुम्हें miswak के बारे में बहुत ताकीद की है।
Miswak ke 10 fayde
मिस्वाक के 10 फायदे हदीस से साबित हैं।
#1– मिस्वाक मुंह की पाकीज़गी और मुंह को साफ रखती है।
#2– अल्लाह ताला की रजा जो 1 बंदे मोमिन की ख्वाहिश होती है miswak करने से हासिल होती है।
#3– मिस्वाक शैतान को गुस्सा दिलाती है।
#4– मिस्वाक करने वाला अल्लाह के हबीब के अमल को दोहराता है उसकी वजह से वह अल्लाह का महबूब हो जाता है अल्लाह ताला का प्यारा हो जाता है।
#5– मिस्वाक करने वालों से फरिश्तें मोहब्बत करते हैं
#6– मिस्वाक मसूड़ों की गंदगी को दूर करने में ताकत देता है।
#7– मिस्वाक बलगम को फाड़ देती है और बलगम को दूर कर देती और फेफड़े को साफ कर देती है।
#8– मिस्वाक मुंह में खास किस्म की खुशबू पैदा करती है।
#9– मिस्वाक निगाह तेज करती है यानी मिस्वाक करने वाले की निगाह तेज हो जाती है।
#10– मिस्वाक सफरा को दूर करती है।
इन सारे क्वालिटी इसके अलावा बहुत से बड़ी सिफत यह है कि अल्लाह के हबीब सल्लल्लाहु अलेह वसल्लम की सुन्नत है miswak करना, उसका पाबंद होकर एक मुसलमान सरवरे कायनात सल्लल्लाहु अलेह वसल्लम के रवैये को अपनाता है उनके हुक्म की तामील करता है अपने इस काम से वह अपनी इस आदत का मुज़ाहरा करता है जो आप सल्लल्लाहु अलेह वसल्लम के लिए इस के दिल में मोहब्बत है
अगर इसके इस काम में रियाकारी हो, यानी दिखावा ना हो,या कोई दुनिया के फायदे हो और अगर दुनिया का फायदा उसका मकसद ना हो तो यकीनन उसका ये अमल कयामत के दिन के तराजू पर बहुत ज्यादा वजनी साबित हो सकता है।
नमाज क्योंकि अल्लाह ताला के साथ हम कलाम होने का नाम है, अल्लाह के दरबार में हाजिरी का नाम है, उस अल्लाह से दुआ और मुनाजात करने का नाम है,
इसलिए जरूरी है कि इस फ़र्ज़ को अपनी हिम्मत और दिमागी कुव्वत वा जिस्मानी ताकत के मुताबिक पूरी तवाज्जो से अदा किया जाए।
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Jazakallah hu khair