Shaheed kon hai। Shaheed ka kya maqam hai

Shaheed kon hai। Shaheed ka kya maqam hai

Shaheed kon hai। Shaheed ka kya maqam hai इस्लाम पर कायम रहने की वजह से अगर अल्लाह के किसी बंदे या बंदी को मार डाला जाए या दीन की कोशिश और हिमायत में किसी खुशनसीब की जान चली जाए तो दिन की खास जबान में उस आदमी को शहीद कहते हैं

Shaheed ka Maqam kya hai


 अल्लाह के यहां शहीदों का बहुत बड़ा दर्जा और बहुत बड़ा मकाम है शहीदों के मर्तबा के मुतालिक कुरान मजीद में फरमाया गया है कि
उन लोगों को हरगिज मुर्दा ना समझो बल्कि शहीद हो जाने के बाद अल्लाह की तरफ से उनको ख़ास जिंदगी मिलती है और उन पर तरह-तरह की नेमतों की बारिश में होती हैं


जो लोग अल्लाह की राह में यानी उसके दिन के रास्ते में मारे जाएं उनको हरगिज़ मुर्दा ना समझो बल्कि वह जिंदा है अपने परवरदिगार के पास उनको तरह-तरह की नेमतें दी जाती हैं (सूरह आले इमरान रूकु 18)

शहीदों का क्या मकाम है शहीदों पर अल्लाह ताला का कैसा कैसा प्यार होता होगा और उनको कैसे-कैसे इनाम मिलेंगे इसका अंदाजा
हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की इस हदीस से लगाया जा सकता है

हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया

“जन्नतियों में से कोई एक आदमी भी यह नहीं चाहेगा कि उसको फिर दुनिया में वापस भेजा जाए चाहे उससे यह कहा जाए कि तुम दुनिया की सारी चीजें ले लो लेकिन शहीद इस आरजू में रहेगा कि एक दफा नहीं 10 मर्तबा फिर दुनिया में भेजा जाए ताकि हर दफा हर मर्तबा वह अल्लाह की राह में शहीद होकर आए,” उन्हें ये आरजू ए शहादत शहीदों के मर्तबे और उनके खास इनामात को देखकर होगी

अल्लाह ने नबी की शहीद होने का शौक़ और तमन्ना


शहादत की तमन्ना और उसके शौक़ में खुद रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हाल यह था कि एक हदीस में आप ने फरमाया

कसम है उस जात की जिसके कब्जे में मेरी जान है मेरा जी चाहता है कि मैं अल्लाह की राह में कत्ल किया जाऊंगा फिर मुझे जिंदा कर दिया जाए और फिर मैं कत्ल किया जाऊं और फिर मुझे जिंदा कर दिया जाए और फिर मैं कत्ल किया जाऊं फिर मुझे जिंदगी बख्शी जाए और फिर मैं कत्ल कर दिया जाऊं”

शहीदों को मिलने वाला खास 6 ईनाम


एक हदीस में है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया
शहीदों को अल्लाह ताला की तरफ से 6 इनाम मिलते हैं

1-एक ये की शहीद होते ही फौरन बख्श दिया जाता है यानी उसके पूरे गुनाह माफ कर दे जाते हैं और उसको जन्नत में मिलने वाला मकान दिखा दिया जाता है
2-दूसरे यह कि कब्र के आजाब से उसको बचा दिया जाता है
3-और तीसरी यह कि हश्र के दिन जिस दिन अल्लाह का तख्त लगेगा उस दिन उसको सख्त घबराहट और परेशानी से उसको अमन दिया जायेगा
4-चौथे यह की कयामत में उसके सर पर इज्जत और वकार का एक ऐसा ताज रखा जाएगा जिसमें का एक याकूत यानी 1 नग तमाम दुनिया के और दुनिया में जितनी भी चीजें हैं उससे बेहतर होगा
5-पांचवां ये की जन्नत की हूरों में से 72 उसके निकाह में दी जाएंगी
6-छठे ये की उसके रिश्तेदारों में से 70 लोगों के हक में उसकी सिफारिश कुबूल की जाएगी।


तो दोस्तों यह है शहीदों का मर्तबा और मकाम, इस्लाम के रास्ते में अपनी जान को कुर्बान कर देने वाले शहीदों के अल्लाह ताला कितना पसंद फरमाता है कि उनको अखीरत में ऐसे छह ख़ास इनामात देता है जो और किसी को नहीं मिलता

एक और हदीस में है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया शहीद होने वाले के सब गुनाह माफ कर दिए जाते हैं लेकिन अगर किसी आदमी का कर्ज उसके जिम्मे होगा तो उसका बोझ उस पर बकी रहेगा”


और याद रहे कि सवाब और फजीलत इसी पर खत्म नहीं हो जाता, कि बंदा दीन के रास्ते में आदमी मार डाला जाए बल्कि अगर दीन की वजह से किसी ईमान वाले को सताया गया बेइज्जती की गई मारा पीटा गया उसके माल को लूटा गया या मॉब लिंचिंग की गई या किसी तरह उस को नुकसान पहुंचाया गया तो इस सब का भी अल्लाह के यहां बहुत बड़ा सवाब है और अल्लाह ताला ऐसे लोगों को इतना बड़ा मर्तबा देगा कि बड़े-बड़े आबिद और जाहिद उन पर रश्क करेंगे यानी उन पर सोचेंगे कि अल्लाह ने इसको कितना बड़ा बड़ा इनाम दे दिया है


जिस तरह दुनिया की हुकूमतें अपने सिपाहियों को अपने कमांडोज को बड़ी इज्जत देते हैं और उन्हें बड़े-बड़े इनामात और मेडल देती हैं जो अपनी हुकूमत की वफादारी की और हिमायत में चोटे खाई, और मारे पीटे गए, जख्मी किए गए और फिर भी उसी हुकूमत के वफादार हैं


इसी तरह अल्लाह के यहां उन बंदों की खास इज्जत है जो अल्लाह के दीन पर चलने और अल्लाह के दीन पर कायम रहने के जुर्म में उसके दीन की तरक्की और दीन को फैलाने की कोशिश करने के सिलसिले में मारे पीते जाएं बेइज्जत किए जाएं या दूसरी तरह का और नुकसानात उठाएं तो कयामत के दिन ऐसे लोगों को सब हसरत की निगाह से देखेगे और अल्लाह ताला अपने खास इज्ज़त और एकराम से उन्हें नवाजेगा तो दूसरे लोग हसरत भरी निगाहों से देखेंगे और कहेंगे कि काश! दुनिया में हमारे साथ भी यही किया गया होता दीन के लिए हम भी जलील किए गए होते, हम भी मारे गए होते, हमारे जिस्मों को भी जख्मी किया गया होता, तो आज इस वक्त यही इनआमात हमको भी मिलते ।

Conclusion

तो आज के इस टॉपिक Shaheed kon hai। Shaheed ka kya maqam hai मे हमने शहीदों का मकाम और मर्तबा के बारे में हदीस कि रोशनी में जाना, इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करे ताकि दूसरे लोग भी शहीदों के मकाम कौर मर्तबे को जान सके और अल्लाह के दीन के लिए कुर्बानी देने के लिए हमेशा तैयार रहे।
ऐ अल्लाह!अगर हमारे लिए कभी ऐसी आज़माइश मुकद्दर में हो तो हमको साबित कदम रखना और अपनी रहमत और मदद से महरूम ना फरमाना आमीन

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