Valentine day manana kaisa hai
इस्लाम में Valentine day manana kaisa hai इस्लाम में Valentine day manana सरासर हराम है ये एक बेहूदा दिन है जिसमें लोग बेहयाई को बढ़ावा देते है जबकि इस्लाम इन सब बातों से हमको मना करता है जब भी हमारे सामने कोई त्यौहार या कोई खास दिन आता है हम सब बिना सोचे समझे दूसरे लोगों को देख कर उस अमल को करना शुरू कर देते हैं उस वक्त हम यह नहीं सोचते कि यह काम यह अमल हमारे दिन में हमारे इस्लाम में जायज है या नाजायज है यह काम हमारे इस्लाम में इसकी इजाजत दी है या नहीं दिए हम इस बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते जिस तरीके से आज हम हैप्पी न्यू ईयर मनाते हैं और christmas मनाते हैं यह सब आजकल के इस दौर में ट्रेंड चल रहा है कि लोग एक दूसरे का हैप्पी बर्थडे मानते है और वैलेंटाइंस डे मनाते है इन सब चीजों की इजाजत इस्लाम में बिल्कुल नहीं है तो आज किस टॉपिक में हम वैलेंटाइन डे के बारे में बात करेंगे। और ये भी जानेंगे की इस्लाम में Valentine day manana kaisa hai कुरान और हदीस की रोशनी में पूरी जानकारी के साथ
Valentine day kya hai
Valentine day,14 February के दिन नाजायज तरीके से प्यार करने वाले लोग अपनी महबूबा के साथ प्यार का इजहार करते हैं और नाजायज रिश्ते से प्यार का इज़हार करके इस दिन koqa मनाते है वैसे वैलेंटाइन डे का इतिहास बहुत पुराना है Valentine day इस्लाम का हिस्सा नहीं है ये ऐसा दिन है जिसका ताल्लुक़ सिर्फ ईसाइयों से है ना कि इस्लाम से और मुसलमानों से।
Islam me Valentine’s day manana kaisa hai
इस्लाम में Valentine day मनाना हराम है क्योंकि यह बहुदा काम है और इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता यह पूरी तरह इस्लाम के खिलाफ है।क्योंकि जिस इंसान जिस इस्लाम ने पर्दे का इतना बेहतरीन कांसेप्ट है उस इस्लाम में इस तरीके के त्यौहार और इस तरीके का कोई बेहयाई का दिन मनाने का कोई रिवाज इस्लाम में नहीं है और ना ही इस्लाम इस तरह का दिन मानने की इजाज़त देता है
लेकिन आजकल के मुस्लिम लड़के और लड़किया को दीन का इल्म ना होने की वजह से वह भी Valentine day मनाते हुए नजर आ रहे हैं और उस ना जायज़ मुहब्बत के दिन को celebrate करते है उनको यह यह समझना चाहिए कि एक बहुत ही बड़ा गुनाह है ऐसे कामों से बचना लाजमी है इंसान को इस्लाम के कानून पर ही चलना चाहिए यही उनके लिए सही है दुनिया के लिए भी और आखिरत के लिए भी ।
हजरत अब्दुल्ला बिना उमर रजि अल्लाहु ताला अन्हू से रिवायत है कि रसूल अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया “हया और इमान दोनों साथी हैं बस जब इन दोनों में से एक उठाया जाता है तो दूसरा भी उठा लिया जाता है” (मिस्कत उल मसाबीह 1432)
हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि “कोई मर्द जब किसी औरत के साथ तनहाई में होता है तो वहां उन दोनों के अलावा तीसरा आदमी शैतान भी जरूर मौजूद होता है” (मिश्कात शरीफ)
इस हदीस से मालूम हुआ कि शैतान का काम ही है कि वह गुनाह करवाता है जब भी कोई मर्द और औरत के साथ तन्हाई में होगा तो शैतान भी वहां मौजूद होगा दोनों के जज्बात को उभारेगा और दोनों के दिलों में खराब काम करने का वस्वसा डालेगा इसी वजह से आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सख्ती के साथ ना महरम मर्द औरत को तनहाई में रहने की मुमानियत फरमायी है इसीलिए हमें इस चीज पर बड़ी सख्ती के साथ अमल करने की जरूरत है चाहे उस्ताद हो या पीर हो या मामू भांजा, भी चाचा का बेटा उसके पास तन्हाई में रहने और ना महरम औरत के साथ अकेले में बैठने उठने से बचने का इहतेमाम करना जरूरी है।
एक दूसरी हदीस में की हजरत जाबिर रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि खबरदार कोई शख्स हरगिज़ किसी भी शौहर वाली औरत के पास रात ना गुजारे अलबत्ता वह शख्स जिसने उस औरत से निकाह कर लिया हो। (मिशकात शरीफ 1268)
वैलेंटाइन डे के दिन सारे लोग खुल कर जिना करते हैं और उस नाजायज रिश्ते को मोहब्बत का नाम देकर मोहब्बत का इजहार करते हैं
अल्लाह ताला का फरमान है
खबरदार जिना के करीब भी ना भटकना क्योंकि वह बड़ी बे हयाई और बहुत ही बुरी राह है। (सुरह बनी इसराइल 1734)
अगर हम इस पॉइंट पर गौर करेंगे तो हमें यह पता चलता है कि वैलेंटाइन डे के दिन सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के उस काम के खिलाफ वर्जी होती है जो कि अल्लाह ने अपनी मुकद्दस किताब कुरान में बताया और अल्लाह के रसूल ने हदीसो के जरिए हम को पहुंचाया लेकिन लोग बे हयाई में इस कदर डूब चुके हैं कि उन्हें अल्लाह के कुरान और अल्लाह के रसूल का फरमान का कोई परवाह नहीं और वह खुल्लम-खुल्ला इस दिन में बे हयाई और अय्याशी करते हुए नजर आते हैं
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलेह वसल्लम ने बे हयाई फैलाने वालों के लिए ताकीद की है
जो लोग मुसलमानों में भी है यही फैलाने का ख्वाहिश मंद रहते हैं उनके लिए दुनिया और आखिरत में दर्दनाक अजाब है अल्लाह सब कुछ जानता है और तुम कुछ भी नहीं जानते (सूरह नूर 24:19)
अल्लाह ताला ने बे हयाई की बातों को हराम करार दिया है
अल्लाह ताला का इरशाद है “आप कह दीजिए कि मेरे रब ने तो बे हयायी की बातों को जाहिर हो या पोशीदा हो और गुनाह को और ना हक ज़्यादती को हराम किया है” (सुरह अल अराफ़ 7:33)
इस्लाम और मुसलमान मोहब्बत के खिलाफ नहीं है इस्लाम और मुसलमान उस मोहब्बत का सपोर्ट करते हैं जो मियां बीवी का पाकीज़ा रिश्ता है जो साल भर यहां तक कि जिंदगी भर एक दूसरे से मोहब्बत के रिश्ते में बंधा हुआ रहता है और हर मुसलमान उसे बखूबी अंजाम तक पहुंचाता है इस्लाम में मोहब्बत करने का कोई खास दिन नहीं है इस्लाम में सालों साल हर वक्त हर दिन आप अपने बीवी से मुहब्बत करे, अपने भाई से मोहब्बत करें अपने वालिद से मोहब्बत करें जिससे एक खानदान और रिश्तों में मजबूती पैदा होती है अपने आप में मोहब्बत और प्यार का रिश्ता बनाए रखें।
जिस तरह अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम ने फरमाया अगर कोई शख्स किसी आदमी से मोहब्बत करता है तो वह से जाहिर कर दे कि मैं उससे मोहब्बत करता हूं (अबू दाऊद)
अल्लाह ताला की नसीहत है और अल्लाह के रसूल का फरमान हमारे आंखों के सामने खुली दलील है अगर इसके बावजूद अगर हम बेहयी और बुरे कामों से ना रुके हैं तो इसका हिसाब हमें अखिरत के दिन देना पड़ेगा अल्लाह ताला हम सबको बे हयाई और बुरी बातों से बचने की तौफीक अता फरमाए आमीन