ilm ki Fazilat Aur Baccho ki Tarbiyat

Ilm ki Ahmiyat Aur Fazilat

दोस्तों आज के इस टॉपिक में हम ilm ki Fazilat Aur Baccho ki Tarbiyat इल्म दीन की फजीलत और अहमियत और बच्चो की तालीम और तरबियत, बच्चों की तालीम और तबियत किस तरह करनी चाहिए इन सबके के बारे में जानेंगे।

दोस्तों इल्म और तालीम ऐसी चीज है जिसकी फजीलत अक्सर लोगों को मालूम होती है। हम सब जानते है कि इल्म और तालीम हासिल करना कितनी बेहतर चीज है इसका हासिल करना जरा भी देर नहीं करनी चाहिए यही वह चीज है जिससे इंसान की जिंदगी में कामयाबी और खुशहाली आती है और इसी से दुनिया और आखिरत भी सुधरती है मगर हमारा इशारा उस इल्म से है उस तालीम से है जो हमें सीधे रास्ते पर ले जाएं और अल्लाह की याद में लगा दे और निजात का जरिया बने, जिससे दुनिया और आखिरत भी बने और यही वह इल्म है जिससे अखिरत में कामयाबी मिलने वाली है।

क़ुरान ए करीम ने बहुत से मौकों पर ilm और तालीम हासिल करने की तरफ जो इशारा बयान किया है वह इस तरह है “तुम फरमाओ क्या जानने वाले और अनजान बराबर हैं नसीहत तो वही मानते हैं जो अक्ल वाले हैं।”

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो सल्लम का इरशाद है “जिस शख्स के साथ अल्लाह ताला भलाई का इरादा करता है उसको दीन की समझ आता फरमाता है”

हजरत जाबिर बिन समरा राजी अल्लाह तला अन्हू से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया इंसान अपने बच्चे को अदब सिखाएं तो ये उससे बेहतर है कि एक” सा” वगैरह सदका करें।

यानी आदमी का अपने बच्चे को अदब सिखा देना सदका करने से ज्यादा बेहतर है

दूसरी हदीस में अल्लाह के रसूल सल्ला वाले वसल्लम ने इरशाद फरमाया किसी बाप ने अपने बच्चों को कोई ऐसी बख्शीश नहीं दी जो अच्छे अदब से बढ़कर हो

इन दोनों हादसों में हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने अवलाद की तालीम और तबीयत की तरफ खुसूसी ध्यान दिलाया है बात यह है कि बच्चे बिल्कुल सादे दिल के होते हैं अगर उनकी तबीयत और तालीम सही से ना की जाए और इल्म अमल से आ रास्ता ना किया जाए तो सिर्फ देखने में वह इंसान नजर आते हैं और उनकी अखलाक उनकी आदत जानवर के तौर तरीके की तरह हो जाते हैं।

Aulad ki taleem me gaflat

बहुत से लोगों को औलाद की तालीम हो तबीयत की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं होता मां-बाप अपने अपने कामों में लगे रहते हैं और बच्चे गली मोहल्ले में भटक भटकते हुए फिरते हैं बच्चों के लिए पेट की रोटी और बदन के कपड़े का तो इंतजाम कर देते हैं लेकिन उनकी परवरिश सही से नहीं कर पाते यानी यानी उनकी जो तालीम तबीयत है इल्म है उसकी तरफ बिल्कुल तवज्जो नहीं देते हैं कि वह किस तरीके से उसका अखलाक सीख रहा है किस तरीके से वह लोगों से बात कर रहा है तो यह सब उनको नहीं सिखाते हैं बच्चों को, बाद में नतीजा यह होता है कि बच्चे बिगड़ जाते हैं मां से बदतमीजी करने लगते हैं तब मां बाप कहते हैं बेटा बिगड़ गया बेटा कहे में नहीं है बेटा कहना नहीं सुनता है, यह सब बचपन की तालीम हो तबीयत की कमी की वजह से होता है

और इस बड़ी गफलत में उन लोगों का भी हिस्सा है जो खुद तो नमाजी हैं और कुछ अदब और अखलाक से वाकिफ है जानते है लेकिन काम धंधे में कुछ इस तरह अपने आप को फंसा दिया है कि बच्चों की तरफ ध्यान करने के लिए उनके पास टाइम ही नहीं है जबकि ज्यादा कमाने की जरूरत औलाद ही के लिए होती है जब ज्यादा कमाने की वजह से खुद को औलाद की तालीम और तबीयत का खून हो जाए यानी उसकी औलाद अच्छे तालीम अच्छी तरबियत ही ना सीख सके तो सिर्फ पैसा कमाना किस काम का,

Baccho ki Tarbiyat kis tarah karen

बच्चो को तालीम और तरबियत और दीन का इल्म सीखने और दीन की बातों पर अमल करके दिखाने और अमल करने का शौक़ पैदा करने का सब से पहला मदरसा इनका अपना घर और मां बाप की गोद है,

दोस्तों,आप अपने बच्चों को किस तरह बनाना चाहे बना सकते हैं और जिस रंग में चाहे रंग सकते हैं,बच्चे का अच्छा बनना और बुरा बनना घर से ही होता है ,बचपन में मां बाप जिस तरह से उनको बताएंगे वही बच्चे कि सारी ज़िन्दगी की बुनियाद बन जाएगी ,

बच्चे के दिल में खुदा का खौफ खुदा की याद खुदा की मोहब्बत और आखिरत की फिक्र इस्लाम के होठों पर चलने और सीखने सिखाने के मुताबिक जिंदगी गुजारने का जज्बा पैदा हो जाने की पूरी पूरी कोशिश करना हर मां बाप पर जरूरी है,

अपने बच्चो को एक आलिम और Hafiz e Quran की सोहबत में दीन की तालीम दिलाओ Quran Shareef को हिफ़्ज कराओ, कुरान और हदीस के माना और मतलब समझने के लिए अरबी पढ़ाओ, उसको हराम और हलाल में तमीज करना बताओ, और दयानत दारी और अमानतदारी करना बताओ, शर्म, हया, सखावत, सब्र, शुक्र और बंदों के हुकूक की अदायगी और इस तरह के दूसरे अच्छे अखलाक की तालीम दो।

दोस्तों इस टॉपिक ilm ki Fazilat Aur Baccho ki Tarbiyat बच्चों की तरबियत के बारे में जाना अल्लाह से दुआ है अल्लाह ताला हम सब के बच्चों को अच्छा अखलाक और ilm e deen हासिल करने की तौफीक अता फरमाए आमीन दोस्तों कैसा लगा आपको ये टॉपिक दोस्तों कमेंट करके जरूर बताइए अपने दोस्तों के साथ शेयर करिए

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