Surah Al Qadr in hindi with translation
आज हम कुरान कि उस सूरत के बारे में बात करेंगे जो आम तौर पर हर किसी मुसलमान को याद होती है और इसको अक्सर नमाज में लोग तिलावत भी करते है। इस सूरत कि बहुत फजीलत भी आई है।हम बात कर रहे है आज के टॉपिक Surah Al Qadr in hindi with translation की इसमें surah Qadr के हिंदी तरजुमे और तफसीर के बारे में पढेगे।
Surah Qadr in hindi
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
1. इन्ना अनज़ल नाहु फ़ी लैयलतिल कद्र
2. वमा अदराका मा लैयलतुल कद्र
3. लय्लतुल कदरि खैरुम मिन अल्फि शह्र
4. तनज्जलुल मलाइकातु वररूहु फ़ीहा बिइज़्नि रब्बिहिम मिन कुल्लि अम्र
5. सलामुन हिय हत्ता मत लइल फज्र
Surah Qadr (Inna Anzalna) Translation
1. बेशक हम ने कुरान को शबे क़द्र में नाजिल फ़रमाया है
2. और आप को मालूम है कि शबे क़द्र क्या है ?
3. शबे क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है
4. इस रात में फ़रिश्ते रूहुल अमीन (जिबरईल अलैहिस सलाम) अपने रब के हर काम का हुक्म लेकर उतरते हैं
5. ये रात (सारापा) पूरी तरह सलामती है, जो सुबह फज्र होने तक रहती है
Surah Qadr ki Tafseer
Surah Qadr में अल्लाह ने रमजान की एक खास रात के बारे में जिक्र किया है रमजान की रातों में एक रात शबे कद्र की है यह बहुत ही बरकत और भलाई वाली रात है इस रात में कुरान ए मजीद नाजिल हुआ
Shabe Qadr kya hai
शबे क़द्र रमज़ान शरीफ़ की आख़िरी अशरे की ताक़ (सम) रातों में से किसी एक रात में होती है यानी 21, 23, 25, 27, या 29 वीं रात में
पूरा क़ुरान करीम लौहे महफ़ूज़ में इसी रात में उतारा गया, फिर हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम उसे थोड़ा थोड़ा करके 23 साल तक हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर वही की शक्ल में नाजिल करते रहे और दूसरा मतलब ये भी है कि क़ुराने करीम सब से पहले शबे क़द्र में नाज़िल होना शुरू हुआ |
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Shab e Qadr ki dua in hindi ।शबे कद्र की दुआ
इस रात में फरिश्ते आसमान से दुनिया में उतरते हैं और इस रात में कोई नेकी करना ऐसा है जैसे हजार महीने तक नेकी का काम करता हूं बल्कि इससे भी ज्यादा यही बातें इस सूरत अल क़द्र में बयान की गई है।
इस पूरी की पूरी रात में खैर,भलाई और सलामती ही सलामती है यानि इस रात के जिस वक़्त में भी कोई छोटी सी भी इबादत करेगा,तो इंशाअल्लाह इस की फ़ज़ीलत को हासिल कर लेगा, यहां तक कि सिर्फ़ मगरिब और ईशा की नमाज़ भी जमात से पढ़ ले, तब भी शबे क़द्र की भलाई वाली रात में अपना हिस्सा ज़रूर पायेगा और फिर इस रात की सलामती सुबह फज्र के वक़्त तक रहती है |
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Jazakallah hu khair
MashAllah