Juma ke din ki Fazilat

Juma ke din ki Fazilat

 जुम्मा का दिन पुरे दुनिया के मुसलमान के लिए ख़ास दिन होता है जुमा के दिन हर मुसलमान जुमा की नमाज़ अदा करता है तो आज हम  हदीस ए मुबारका में बहुत जगह Juma ke din ki Fazilat आई हुई है।तो आज हम Juma ke din ki Fazilat  के बारे में बात करेंगे

हज़रत हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रजिअल्लाहु ताला अनहु फरमाते हैं ईमान वालों जब तुम जबान और दिल से अल्लाह ताला की तस्बीह बयान करते हो कि वह अकेला है और उसके साथ कोई शरीक नहीं जुमे की नमाज के लिए दौड़ते हुए जाओ अगर इस वक्त खरीद-फरोख्त कर रहे हो तो फौरन छोड़ दो। क्योंकि खरीद-फरोख्त से नमाज तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम अल्लाह ताला को पहचानते हो।

कुरान में अल्लाह का इरशाद है जब तुम नमाज (जुमा) के लिए बुलाया जाए तो खुदा के जिक्र की तरफ दौड़ो खरीद-फरोख्त छोड़ दो तुम्हारे लिए यही बेहतर है अगर तुम अल्लाह को पहचानते हो।

उस जमाने में दस्तूर था जब काफिला मदीना मुनव्वरा में दाखिल होता तो वहां के लोग डफ बजाया करते थे यह पूरे काफिले का इस्तकबाल होता था एक मर्तबा जब काफिला आया तो जुमा का दिन था आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मेंबर पर खुत्बा दे रहे थे लोगों ने काफ़िला आने की खबर सुनी तो मस्जिद से निकल कर बाहर चले गए तब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया मस्जिद में कितने आदमी रह गए हैं मस्जिद में सिर्फ एक औरत और 12 मर्द मौजूद थे आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अगर यह लोग मस्जिद में बाकी ना रह गए होते तो मस्जिद से बाहर जाने वाले सब लोग संग सार कर दिए जाते।क्योंकी इसी वक्त अल्लाह ताला ने आयत नाजिल फरमाई ऐ महबूब इनसे कह दो कि खुदा के पास इस ढोल तालियों और सौदागरी से बेहतर सवाब है और तुम्हें इससे बेहतर नफा पहुंचाने वाला और रिज्क देने वाला है और इन सबसे बेहतर अल्लाह ही है कहा जाता है बाकी रह जाने वाले 12 दिनों में हजरत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु  भी शामिल थे।

 Hadees Shareef me Juma ke din ki Fazilat 

हदीस ए मुबारका में बहुत जगह Juma ke din ki Fazilat आई हुई है। हजरत अबू हुरैरा रजिअल्लाहु ताला अन्हू से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस तरह जुमे के दिन सूरज निकलता है और डूबता है इससे बेहतर किसी और दिन नहीं निकलता और डूबता है। सारी मखलूक जुमे के दिन से खौफ खाती है मगर जिन्नात और इंसान खौफ नहीं खाते हर मस्जिद के दरवाजे पर 2 फरिश्ते इन लोगों का सवाब लिखने में जुटे रहते हैं जो इस दिन मस्जिद में आते हैं पहले आने वाले को ऊंट की कुर्बानी का सवाब मिलता है और बाद में आने वाले के लिए गाय की कुर्बानी का सवाब लिखा जाता है और उसके बाद में आने वालों को बकरी की कुर्बानी का सवाब मिलता है और उसके बाद आने वाले को मुर्गी की कुर्बानी का सवाब मिलता है और उसके बाद आने वाले को मुर्गी के अंडे का सवाब मिलता है जब इमाम खुत्बा देने के लिए खड़ा होता है तो फरिश्ते वापस चले जाते हैं।

हज़रत अबू हुरैरा रजिअल्लाहु ताला अन्हु से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिस दिन सूरज निकलता है और डूबता है उन सारे दिनों में जुम्मे का दिन सबसे बेहतर है क्योंकि इस दिन हजरत आदम अलैहिस्सलाम पैदा हुए और इसी दिन जन्नत में दाखिल किए गए और इसी दिन जन्नत से निकाले गए और कयामत भी इसी दिन आएगी juma ke din एक ऐसी घड़ी है जो इस घड़ी में कुछ भी अल्लाह तआला से मांगेगा अल्लाह तआला उसे जरूरत आता करेंगे।

Juma ke din ka khaas waqt

अबू सलमा अब्दुल्ला बिन सलाम रज़ी अल्लाह ताला ने फरमाया हमें यह घड़ी मालूम है यह जुम्मा के दिन की आखिरी घड़ी जुम्मे के दिन की खास घड़ी है इस घड़ी में हजरत आदम अलैहिस्सलाम पैदा हुए। अब्दुल्ला बिन उमर फरमाते हैं आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया जुमे का दिन सब दिनों का सरदार है तमाम दिनों से ज्यादा बुजुर्ग है बल्कि ईद उल फितर से भी ज्यादा बुजुर्ग है।

हज़रत अली रजिअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं जुमे के दिन मस्जिदों के दरवाजे पर फरिश्ते खड़े होकर मस्जिद में आने वालों के मर्तबे लिखते हैं जो मुसल्ले के करीब होते हैं उन्हें भी लिखते हैं जो इमाम के करीब होकर खुत्बा सुनते है उनको 2 गुना सवाब मिलता है और जो लोग इमाम के करीब बैठ कर खुत्बा ठीक तरह से नहीं सुनते बल्कि बातें करते हैं इन्हें भी सवाब के बजाय दुगना अजाब मिलता है जो इमाम से दूर होकर बेहूदा हरकतें करते हैं बकवास करता है उसे भी गुनाह मिलता है कुछ लोग हर मस्जिद में ऐसे भी होते है जो लोगों को खुत्बे के वक्त चुप रहने को कहते है वह भी बोलने वाले समझे जाएंगे और जुमा के सवाब से महरूम होगा।

हजरत अली रजिअल्लाहु ताला अनहू फरमाते हैं कि मैंने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ऐसा ही सुना जो जिक्र किया गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जुम्मे के दिन इमाम खुत्बा पड़ रहा हो तो कोई शख्स दूसरे को यह भी ना कहे खामोश रहो क्योंकि ऐसा कहना भी लागू बाद बन जाएगा जुम्मे के दिन फरिश्ता मस्जिद के दरवाजे पर खड़े होकर मस्जिद में आने वालों के नाम लिखते हैं इमाम के आ जाने पर फ़रिश्ते लिखना बंद कर देते हैं अपने हाथ से कल में छोड़ देते हैं और कहते हैं आज वाला शख्स नहीं आया क्यों नहीं आया फिर वह ऐसे लोगों के लिए दुआ मांगते हैं कि अगर वह बीमार है तो शिफा दे अगर घूम रहा है तो उसे हिदायत दे अगर रास्ता भूल गया तो उसकी रहबरी फरमा।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जुमे के दिन इमाम खुद बा पड़ रहा हो तो कोई शख्स दूसरे को यह भी ना कहे खामोश रहो क्योंकि ऐसा कहना भी बुरी बात बन जाएगा। जुमे के दिन फरिश्ता मस्जिद के दरवाजे पर खड़े होकर मस्जिद में आने वालों के नाम लिखते हैं इमाम के आ जाने पर फ़रिश्ते लिखना बंद कर देते हैं अपने हाथ से कल में छोड़ देते हैं और कहते हैं आज वाला शख्स नहीं आया क्यों नहीं आया? फिर वह फरिश्ता ऐसे लोगों के लिए दुआ मांगता हैं कि अगर वह बीमार है तो शिफा दे, अगर गुमराह है तो उसे हिदायत दे, अगर रास्ता भूल गया तो उसकी रहबरी फरमा।

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया जो शख्स जज़ा और सजा पर ईमान रखता है उस पर वाजिब है कि जुमे की नमाज जमात के साथ अदा करें बीमार, मुसाफिर, औरत, नाबालिग और गुलाम को ना पढ़ने में कोई हर्ज़ नहीं जो शख्स खेलकूद या कारोबार में मशरूफ रहकर नमाज से लापरवाही तैयार करें अल्लाह ताला उससे बेपरवाह हो जाता है इसलिए खुदा बेनियाज़ है

आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स गफलत की वजह से नमाज जुमा को कमतर जानकर छोड़ देता है अल्लाह ताला उसके दिल पर मोहर लगा देता है।

हज़रत अबू दाऊद से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया जो शख्स जुमे की नमाज जमात के साथ अदा करता है उसके नाम एक मकबूल हज का सवाब लिखा जाता है अगर नमाज जुमा के बाद असर की नमाज पढ़ ले तो उम्र भर का सवाब मिलता है अगर इसी जगह मगरिब की नमाज पढ़ ले तो जो कुछ अल्लाह से मांगेगा अल्लाह ताला उसे जरूर देता है।

Juma ke din Darood Shareef padhna

हज़रत अली रजीअल्लाहु तला अन्हू से रिवायत है नबी करीम सल्लल्लाहो अलाही वसल्लम ने फरमाया जुमे के दिन मुझ पर दरूद भेजा कर इसलिए कि कोई जो कोई इस दिन नेक अमल करता है उसे दुगना सवाब मिलता है और यह बहुत बड़ी बात है आपने फरमाया एक जन्नत के तमाम दर्जो से ऊंचा दर्जा है जो किसी को नहीं मिलता सिवाय पैगंबरों के और मुझे अल्लाह ताला से उम्मीद है कि वह मुझे यह दर्जा जरूर आता करेगा आप ने फरमाया जो शख्स मेरे लिए यह दुआ मांगे कयामत के दिन मेरी शफाअत उसके लिए की जाएगी ।

juma ke din Darood Shareef padhane ka sawab

 आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद है जो शख्स जुमा के दिन मुझ पर 80 मर्तबा दरूद भेजेगा अल्लाह ताला उसके 80 साल के गुनाह माफ कर देगा मैंने पूछा या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो सल्लम आप पर किस तरह दरूद भेजा जाए आपने फरमाया इस तरह

अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदिन अब्दिका वरा सुलिकन्नाबियिल उम्मी ।

हजरत अबू उमामा से रिवायत करते हैं की आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जुमे के दिन मुझ पर कसरत से दरूद भेजा करो इसलिए कि इस दिन मेरी उम्मत के दरूद मेरे सामने पेश किया जाता है लिहाजा जो शख्स मुझ पर दरूद ज्यादा भेजेगा वह कयामत के दिन मेरे ज्यादा करीब होगा।

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