Youm e Ashura ki Fazilat
क़ुरआने करीम में अल्लाह ताला ने महीनों की तादाद 12 बयान फरमाई है जिनमें से 4 महीने हुरमत(जिन महीनों में जंग करना मना है) वाले हैं और इन 4 महीनों में 1 नाम मुहर्रम है Youm e Ashura (यौमे आशूरा) इसी महीने में आता है।आज के इस टॉपिक में हम Youm e Ashura ki Fazilat के बारे में मुकम्मल मालूमात हासिल करेंगे
Youm e Ashura kya hai
यौमे आशुरा यानी मोहर्रम महीने की 10 (दस) तारीख।‘यौमे आशूरा’ सभी मुसलमानों के लिए बेहद अहम् दिन है. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से ‘आशूरा’ या मुहर्रम के 10वें दिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी. साल 680 ईस्वी में हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथी करबला के मैदान में शहीद हुए थे. इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से मोहर्रम साल का पहला महीना है. आशूरा के दिन जो शख्स अल्लाह की इबादत करें उसे बहुत बड़ा अजर मिलता है
हज़रत इब्ने अब्बास रजि अल्लाह ताला अनु से रिवायत है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया मोहर्रम में रोजा रखने वाले को हर रोजे के बदले 30 रोजों का सवाब मिलता है।
आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स मोहर्रम में आशूरा के दिन रोजा रखे उसे 10000 शहीदों और 10000 हाजियों का सवाब मिलता है जो इस रोज किसी यतीम के सर पर मोहब्बत का हाथ रखे उसे इसके सर के बालों के बराबर जन्नत में ऊंचा मकाम मिलता हैं और जो इस रात में किसी मोमिन को खाना खिलाएं तो वह ऐसे हैं जैसे इसने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तमाम उम्मत को खाना खिलाया
सहाबा किराम रजि0 अल्लाह ताला अनु ने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह क्या यौमे आशूरा को अल्लाह ताला ने सब दिनों पर फजीलत अता फरमाई है आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जवाब दिया हां क्योंकि अल्लाह ताला ने इसी दिन आसमानो, पहाड़ों, नदियों, और लोहे कलम को पैदा किया।
- हजरत आदम अलैहिस्सलाम इसी दिन पैदा हुए और इसी दिन जन्नत में भेजे गए।
- हजरत इब्राहिम अलैहिस्सल्लम इसी दिन पैदा हुए
- इसी दिन फिरोन नदी में डुबाया गया
- इसी दिन अयूब अलैहिस्सलाम से मुसीबत दूर की गई
- इसी दिन हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कुबूल हुई
- इसी दिन दाऊद अलैहिस्सलाम के गुनाह माफ किए गए।
- इसी दिन हजरत ईसा अलैहिस्सलाम भी पैदा हुए
- और कयामत भी इसी दिन आएगी।
हज़रत इब्ने अब्बास रजि अल्लाहु ताला अन्हु से रिवायत है कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जो आशूरा के दिन रोजा रखे और रात भर जागे उसको को 60 साल की इबादत का सवाब मिलता है और अगर कोई इस दिन सिर्फ रोजा रखे तो सात आसमानों के आदमियों के बराबर उसे सवाब मिलता है आशूरा के दिन किसी मुसलमान को खाना खिलाने वाला इस तरह है जैसा आप सल्ला वसल्लम की तमाम उम्मत को खाना खिलाया।
Youm e Ashura ki Barkatein
बहुत सी बातें हैं जो मैं आशूरा की एक और बरकत यह है कि जो शख्स इस दिन गुसल करें वह बीमार नहीं होता लेकिन मौत से नहीं बच सकता जो शख्स इस दिन सुरमा लगाएं उसकी आंखें पूरा साल नहीं दुखती, जो इस दिन किसी बीमार की अयादत करने को जाए उसे सारी मखलूक की अयादत का सवाब मिलता है जो इस रोज किसी को एक गिलास शरबत पिलाये उसे इतना सवाब मिलेगा जैसे उसने एक एक लम्हे के लिए भी अल्लाह की इबादत से कोताही नहीं की।
Youm e Ashura ki Namaz
जो शख्स इस रोज 4 रकात नमाज पढ़े हर रकत में एक बार सूरह फातिहा 50 बार सूरह इखलास पड़े तो उसके पहले और बाद के 50 साल के गुनाह माफ किए जाते हैं इसके लिए नूर के 50 महल बनाए जाते हैं।
Youm e Ashura (आशूरा के दिन) नमाज पढ़ने का जो तरीका है वह इस तरीके से है 4 रकात नमाज इस तरह पढ़ी जाए की हर 2 रकअत के बाद सलाम फेरे हर रकत में एक बार सूरह फातिहा और एक बार सूरह इजाजुल जिला तिल (surah zilzaal) और एक बार सूरह काफिरून और एक बार surah ikhlaas पढ़े। 4 रकात के बाद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजें इस तरह अपनी नमाज मुकम्मल करें और खूब दुआ मांगे।
हजरत अबू हुरैरा रजि अल्लाह ताला अन्हु फरमाते हैं कि आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया बनी इसराइल पर पूरे साल में सिर्फ एक रोजा फर्ज़ किया गया था वह Youm e Ashura आशूरा का रोजा था जो मोहर्रम की दसवीं तारीख है इसीलिए यह बहुत अहम दिन है सब मुसलमानों को इस दिन रोजा रखना चाहिए और अपने घर वालों के बारे में खाने पीने की चीजों में फराख दिली से काम ले लेना चाहिए क्योंकि अल्लाह ताला इस दिन में बरकत से पूरे साल भर रिस्क में बरकत अता फरमाता है इस दिन का रोजा रखने वाले को 40 साल का कफारा दिया जाता है यानी 40 साल के गुनाह उसके माफ हो जाते हैं।
Youm e Ashura ke Roze ka hukm
हजरत आयशा रजिअल्लाहु ताला अन्हु से रिवायत है कि जमाने जाहिलियत में कुरैश भी आशूरा के दिन रोजा रखा करते थे आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी मक्के में रोजा रखा करते थे जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना तशरीफ ले गए तो आप ने यहूदियों से आशूरा के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा इस रोज हजरत मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी कौम को फिरऔन और उनकी कौम पर फतह हासिल हुई थी इसीलिए ये दिन बड़ी अज़मत का दिन है इसीलिए हम इस दिन रोजा रखते हैं यह सुनकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जिस तरह तुम लोग मूसा अलैहिस्सलाम के हकदार हो उससे ज्यादा हम इन के हकदार हैं फिर आपने अपनी उम्मत को आशूरा के दिन रोजा रखने का हुक्म दिया।
Ashura ke din ke 10 waqyaat
बुजुर्गों का कौल है कि आशूरा के दिन का “आशूरा ” नाम इसलिए पड़ा कि इस रोज अल्लाह ताला ने 10 नबियों को 10 करामातें बख़्शी और उन्हें इनाम से सरफराज फरमाया इस दिन हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तौबा कुबूल की गई ।और इसी दिन हजरत इदरीस अलैहिस्सल्लम को बुलंद दर्जे तक पहुंचाया गया। और इसी दिन हजरत नूह अलाहिस्सल्लम की कश्ती पहाडी पर ठहरी।
आशूरा के दिन हजरत इब्राहिम अलाहिस्सलाम पैदा हुए, आशूरा के दिन अल्लाह ताला ने अपना दोस्त हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को बनाया आशूरा के दिन हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को नमरूद की आग से निजात मिली, आशूरा के दिन हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम की तौबा कुबूल हुई आशूरा के दिन हजरत सुलेमान अलैहिस्सलाम के हाथ से निकला हुआ मुल्क इसी दिन उन्हें फिर दोबारा मिला, आशूरा के दिन हजरत अयूब अलैहिस्सलाम ने बीमारी से शिफा पाई, आशूरा के दिन हजरत मूसा अलैहिस्सलाम नील नदी से पार हो गए और फिरौन अपनी कौम समेत नदी में डूब गया, आशूरा के दिन हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली ने पेट से बाहर निकाला, आशूरा के दिन हजरत ईसा अलैहिस्सलाम को दुनिया से आसमान तक ले जाया गया।
Youm e Ashura me Matam karna
बहुत से लोग आशूरा के दिन को मातम का दिन करार देते हैं और इस दिन रोने धोने और मातम करने को अच्छा समझते हैं। अगर हजरत इमाम हुसैन रजि अल्लाहु ताला अन्हु की शहादत के दिन को मुसीबत का दिन शुमार किया जाए तो इस दिन से भी ज्यादा गमजदह दिन वह है जिस दिन आप सल्ला वसल्लम ने वफात पाई लेकिन फिर भी इस्लाम ने इस दिन को भी गम मानने की इजाज़त नहीं दी। अगर आशूरा के दिन मातम करना जायज होता तो सहाबा किराम भी ऐसा करते और उसे जारी रखते वह इस काम के ज्यादा मुस्ताहिक थे मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि आशूरा के दिन आने पर वह अपने घर वालों पर दिल खोल कर खर्च करते थे और रोजा रखा करते थे।
Conclusion
आज के इस टॉपिक में हमने Youm e Ashura ki Fazilat, के बारे में मुकम्मल मालूमात हासिल किया। आपको ये मालूमात कैसी लगी।
Jazakallah Hu Khair
Mashaallah Bahut Achi Tarike se samjaya hain Youm E Ashura ki Namaz Ke Baare Me